चलो इस बार…
मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) **************************************************** यूँ बात-बात पर लड़ना-झगड़ना,छोटी-छोटी ख़ामियों पर तंज़ कसना।आँखें दिखा कर मेरा मुँह पलटना,गुस्से में तुम्हारा कभी घर से निकलना।पास रहकर दूरियां बहुत देख लीं-चलो इस बार फासलों में नजदीकियां ढूंढते हैं॥ एक छत तो थी,पर दीवारें दायरा बन गयीं,साथ रहकर भी साथ रह ना सके हम।बोला तो बहुत कुछ तुमने … Read more