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तिरंगा

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

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दिल दिया है जां भी हाजिर,
हो जाएंगे तेरे लिए कुर्बान।
तीन रंगों से बना तिरंगा,
भारत की है जो पहचान।
अमर शहीदों ने जिसके लिए,
खेली कितनी खूनी होलियां।
भारत माँ के वीर सपूतों ने,
सीने पर हैं खाई गोलियां।
झुकने नहीं देंगे कभी कृष्णा,
है हमारी ये आन-बान शान।
तीन रंगों से…

पाट देंगे सम्प्रदायवाद और,
भेदभाव की सब खाईयां।
खत्म कर देंगे भारत भूमि से,
आपस की बेवजह लड़ाइयां।
तीन रंग पहचान शौर्य,
हरियाली और शांति का।
अधर्म अत्याचार नहीं सहेंगे,
आगाज़ हम करेंगे क्रांति का।
अहिंसा के पथ पर चलकर,
रखेंगे हम सब बापू का मान।
तीन रंगों से…

विश्व गुरु है भारत अपना,
हम सब अहिंसा के पुजारी।
जड़ से उखाड़ फेंकना होगा,
आतंकवाद जैसी बीमारी।
विश्व बंधुत्व का पाठ आज,
घर-घर तक पहुंचाना है।
अच्छे कर्मों का इतिहास हमें,
स्वर्ण अक्षरों में लिखवाना है।
मर जाएं हम या मिट जाएं,
ना घटने देंगे भारत का मान।
तीन रंगों से…से बना तिरंगा,
भारत की है जो पहचानll

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

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