मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’
कोटा(राजस्थान)
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स्वतंत्रता दिवस विशेष ……..
किससे हम आज़ाद हुए,क्या आज़ादी यार,
हम आज़ाद शुरू से हैं,जबसे है संसार।
हमको बस गुलाम कहा,तोड़-फोड़ इतिहास,
चमचों से लिखवा दिया कुछ बन बैठे खास।
पहले रहे गुलाम हम,तो क्या अब हैं आज़ाद,
करते आ रहे कब से हम कोरी बकवास।
आजादी पाई नहीं कि,दुश्मन पर जीत,
विजय दिवस है दोस्तों,समझो मेरे मीत।
हाँ,आजादी ही रहे सो जतन किए अनेक,
जानें भी चली गई या में मीन न मेख।
कभी हराए हूंण तो कभी तुर्क मंगोल,
कभी भगाए गौर तो किया किसी को गोल।
सबसे पहले जगत में आया बोलो कौन,
फिर कैसे आजाद हुए तोड़ो कोई मौन।
आज़ादी यदि नाम है दमन के उपर जीत,
नहीं हुए आज़ाद हम अब तक मेरे मीत।
जाति-पाति कानून से अब भी कब आज़ाद,
दमन चक्र भी चल रहा एक-एक के बाद॥
परिचय–मधुसूदन गौतम का स्थाई बसेरा राजस्थान के कोटा में है। आपका साहित्यिक उपनाम-कलम घिसाई है। आपकी जन्म तारीख-२७ जुलाई १९६५ एवं जन्म स्थान-अटरू है। भाषा ज्ञान-हिंदी और अंग्रेजी का रखने वाले राजस्थानवासी श्री गौतम की शिक्षा-अधिस्नातक तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(राजकीय सेवा) है। कलम घिसाई की लेखन विधा-गीत,कविता, लेख,ग़ज़ल एवं हाइकू आदि है। साझा संग्रह-अधूरा मुक्तक,अधूरी ग़ज़ल, साहित्यायन आदि का प्रकाशन आपके खाते में दर्ज है। कुछ अंतरतानों पर भी रचनाएँ छ्पी हैं। फेसबुक और ऑनलाइन मंचों से आपको कुछ सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समय का साधनामयी उपयोग करना है। प्रेरणा पुंज-हालात हैं।