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अपने जमाने की बात

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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अपने जमाने की बात ही,
कुछ खास हुआ करती थी
मोहल्ले की हर औरत चाची,ताई,
और मामी हुआ करती थी
गली का हर मकान,
अपना ही घर हुआ करता था।

अम्मा की रसोई तो क्या,
हमें हर चाची और मामी के
पकवान की खबर हुआ करती थी,
डांट-डपट की चिंता थी किसे
बस अपनापन था,
और मासूमियत हुआ करती थी।

सूरज अपना रुख मोड़े,
उससे पहले ही अपनी मंडली
जुड़ जाया करती थी,
बड़े-बड़े मैदानों की चाह कभी
हमें न हुआ करती थी,
गली,मोहल्ला और घर का
आँगन ही काफी हुआ करता था।

घंटों की चहल-कदमी करने पर भी,
थकावट हमें न छू पाती थी
बार-बार माँ के पुकारने पर भी,
बस यही आवाज जाया करती थी
‘बस थोड़ी देर और माँ’,
एक-दो बार तो माँ
नजरअंदाज कर जाया करती थी,
मगर फिर उनकी कड़कती ध्वनि से’
चिंता की लकीरें उभर आया करती थी।

प्रोजेक्ट,असाइनमेंट और एक्टिविटीज के,
तमाशे तब कहां हुआ करते थे
तिमाही,छमाही और सालाना से ही,
हम खुश हो लिया करते थे
माँ-बाबा से ज्यादा शिक्षक का,
हक हम पर हुआ करता था।

गलती पर दंड देने का जैसे,
अधिकार उन्हीं का हुआ करता था
जो गलती से निकल जाया करता था कि,
मास्टर जी ने मारा है आज
माँ से ही नहीं,बाबा से भी,
दो थप्पड़ खाने पड़ते थे।

होली की गुजिया-लड्डू,चिप्स-पापड़
और
दिवाली की सजावटें सब साथ हुआ करती थी,
पड़ोस की शादी या उत्सव की
जिम्मेदारियां हम पर भी हुआ करती थी,
अपने घर की शादी या उत्सव सोच
बड़ी शिद्दत से फर्ज अदा किया करते थे।
अपने जमाने की बात ही,
कुछ खास हुआ करती थी॥

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैL जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैL श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैL महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैL रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंL हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंL आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैL यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैL

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