जज्बात

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जादूगरी अल्फाज़ की,जज्बात भी मुश्किल में है,चित्त का चिंतन नहीं अब,बात भी मुश्किल में है।नेह का दर्पण अगर,हौले से धूमिल हो रहा हो-मान लो ये जिंदगी की,सौगात…

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गर रात नहीं हो इस जग में

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** कल रात अंधेरा घना था लेकिन,भोर की आशा बाकी थी।जगे हुए इन नयनों में भी,कुछ जिज्ञासा बाकी थी॥ अंधियारे जब सृजित हुए तो,कुछ तो अर्थ रहे होंगे,या…

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बेटियाँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जानता हूँ नेह का,आधार बेटियाँ।घर नहीं,होतीं हैं ये परिवार बेटियाँ।। हर पिता की आँख का,नूर तो होती ही हैं,होती हैं माँ के प्यार का,इजहार बेटियाँ।जैसे तुलसी आँगन…

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मानवता की पोषक है ये

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. कुछ लोगों के उपकारों का,आभार नहीं है हिन्दी,प्रतिशोधों की भाषा का,प्रतिकार नहीं है हिन्दी।मानवता की पोषक है ये,संस्कार की जननी है-जंजीरों की भाषा का,अधिकार…

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मुहब्बत भी ज़रूरी थी,बिछड़ना भी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** छिपा था नेह दिल में वो,निकलना भी ज़रूरी था।नयन में ख्वाब थे उनके,मचलना भी ज़रूरी था॥ चुनाचे ईद का मौसम,अगर महताब दिख जाए,छिपा बादल की चिलमन में,मगर…

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जीवन को बचाना है तो…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** गाँव गली या शहर मुहल्ला,एक देश की बात नहीं है, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,'कोरोना' की जात नहीं है। सारी दुनिया जिसकी जद में,अब तो बाकी…

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निष्प्राण करें हम ‘कोरोना’

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** मानवता पर जब जब कोई,ऐसी आफत आई, खुद ही खुद को डसती मानों,अपनी ही परछाई। भरी दुपहरी में सूरज को,मानो निगल गई रजनी, और भोर…

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हम भी हाथ बटाएं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** सरकारों की कोशिश में कुछ,हम भी हाथ बटाएं, और मिले निर्देश उन्हें हम,अंतस से अपनाएं। भेदभाव को भूल-भाल कर,मिलकर जतन करें- मिल-जुलकर इस 'कोरोना' को,आओ…

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घबराना तो ठीक नहीं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कोरोना घातक है लेकिन,घबराना तो ठीक नहीं, लापरवाही से यहाँ वहाँ पर,आना-जाना ठीक नहीं। अगर बचोगे खुद ही खुद तो,गैर स्वयं बच जाएंगे- नासमझी में…

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अपना शीश झुकाता हूँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसने अपनी कोख में मेरी,काया का निर्माण किया, जिसने अपनी साँसों को ही,मेरे तन का प्राण किया। उस जननी के पदपंकज पर,इतना नेह जताता हूँ,…

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