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कल पर भी लिख दो

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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आग तो बहुत लिखी है जल पर भी लिख दो,
आज पर बहुत लिखा, तुम कल पर भी लिख दो।

वैदिका यज्ञ बना मृदुल मृदा मंत्रों की,
शांति कर हूत कभी तो बल पर भी लिख दो।

लेखनी तू चल ली बहुत समस्याओं पर,
किंतु होता यह अच्छा, हल पर भी लिख दो।

जल उठी ख्याति तेरी, गुप्त कभी नष्ट हुआ,
क्यों नहीं लिख रही, इन हलचल पर भी लिख दो।

सकल साम्राज्य गया, ठाठ गया वैभव भी,
कौन फेंका तुमको, उस दलदल पर भी लिख दो।

संस्कार व सुविचार के बहते धारे थे,
मूल मृतप्राय: हुआ कब, छल पर भी लिख दो।

संस्कृत मनहर भाषा, जननी सब बोली,
सहज बहती मधु जल अविरल पर भी लिख दो॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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