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अधूरा सपना

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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मधु आज बहुत ख़ुश थी, क्योंकि उसके कॉलेज में फ़ेयरवेल पार्टी थी। वह खुश इसलिए थी, क्यूँकि उसे नए कपड़े पहनने को मिलेंगे और अच्छा खाना मिलेगा। मधु के पिता सब्ज़ी बेचते थे। जैसे-तैसे, उनका घर चलता था। बड़ी मुश्किल से स्कूल और कॉलेज की फ़ीस भरते थे।मधु का छोटा भाई भी था, जो सातवीं कक्षा में और मधु बारहवीं में थी। मधु खुश भी थी और थोड़ा दुखी भी थी। दु:ख इस बात का था कि, वह आगे पढ़ाई नहीं कर पाएगी। घर में सबका कहना था कि, पढ़-लिखकर क्या करेगी ? लड़की तो पराया धन है, जाना तो दूसरे के घर ही है।मधु पढ़ाई में बहुत होनहार थी, और आईएस अधिकारी बनना था, पर उसका सपना सपना ही रह गया।
देखते-देखते उसने एचएससी उत्तीर्ण कर ली। उसके बाद वह सारा दिन घर के काम में माँ का हाथ बंटाती और घर में ही रहती। धीरे-धीरे समय बीतता गया। कुछ साल बीत गए। मधु अब २० वर्ष की हो गई। सभी रिश्तेदारों में मधु की शादी की बात होने लगी। कुछ महीनों में मधु की शादी गोपाल नामक युवा से हो गई। गोपाल रेल्वे में अधिकारी पद पर था। गोपाल के परिवार वाले बड़े ही रईस थे। उनकी सुंदर और सुशील कन्या की खोज थी, जो पूरी हो गई थी। मधु कम पढ़ी-लिखी थी, पर सुंदर और सुशील थी। समय बीतता गया। यहाँ मधु बहुत खुश थी। गोपाल से मिलकर जैसे उसकी दुनिया ही बदल गई। गोपाल उसका बड़ा ख़्याल रखता, उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत को पूरा करता। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते। मधु अपने सास-ससुर की सेवा भी अच्छे से करती। पूरा परिवार मधु पर जान छिड़कता था। एक दिन सास, मधु से कहती है- ‘बेटा, क्या तुम आगे की पढ़ाई पूरी करने की इच्छुक हो ?’ यह सुनते ही मानो मधु की आँखों के सामने उसका अधूरा सपना पूरा होते दिखने लगा। कुछ क्षण के लिए मानो वह खो गई। गोपाल ने २ बार मधु…मधु आवाज लगाई और फिर वह झट बोल उठी-‘हाँ, मुझे आगे पढ़ना है। मेरा अधूरा सपना मुझे पूरा करना है।’
गोपाल के परिवार वाले एकसाथ बोल उठते हैं, ‘अधूरा सपना…!’
‘जी हाँ, मुझे आईएस ऑफिसर बनना है।’

मधु की इस बात को सुनते ही सभी ने हाँ कर दी और मधु का प्रवेश बी.ए. प्रथम वर्ष में करा दिया गया। मधु बड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करती, साथ-साथ घर का सारा काम भी करती।आखिर देखते-देखते कुछ साल बीत गए और मधु का अधूरा सपना पूरा हो गया। मधु एक बहुत बड़ी आईएस अधिकारी बन जाती है। घर के सभी सदस्य बहुत खुश थे कि, उनकी बहू अधिकारी बन गई है। मधु के माता-पिता मधु से मिलने आते हैं। उन्हें देख मधु की आँखें भर आई। रोते-रोते अपने पिता से कहने लगी ‘पापा…मेरा अधूरा सपना… पूरा हो गया… आपकी लाड़ली ऑफ़िसर बन गई।’