हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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भारत का अभियान ‘चन्द्रयान’ नहीं थमेगा,नहीं रुकेगा,
अपने भारत का तिरंगा ‘इसरो’ चाँद पर फहराएगा।
हम भारतवासी एक-दो,चार-छह,या आठ-दस नहीं,हैं पूरे सवा सौ करोड़,
हर किसी की बदनीयती,बदमिजाज,मन्सूबे पलक झपकते ही देंगे तोड़।
हम अपने घरों में भले हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख, इसाई हैं,
पर बात आए देश की आन पे,तो हम सबके सब भाई-भाई हैं।
हमारा भाईचारा हमें हर शिखर पर ले जाएगा,
कोई छूट भी गया अगर कभी तो,पिछला उसे पहुंचा आएगा।
उतार-चढ़ाव तो हर जीवन की ही शैली है,
हौंसले मुकम्मल हों दिल में तो,धुल जाती मन की चादर मैली है।
मिशन पाक हो,कश्मीर की धारा ३७०हो,या
अभियान ‘चन्द्रयान’ हो,
हम भेद लेंगे हर लक्ष्य को,माकूल निशाने से, त्याग कर अभिमान को।
फहराएंगे तिरंगा चाँद पर,हम यकीनन हिम्मत हारने वाले नहीं,
अपने चमत्कारी ‘इसरो’,उसकी तत्परता और लगन पर है हमको यकीं।
वक्त की चाल से एक दिन ऐसा भी आएगा,
जब भारत चाँद पर तिरंगा फहराएगा,लहराएगा।
दुनिया का हर पहलू वो मंजर देखता रह जाएगा,
तब हर भारतवासी का चेहरा,मुस्कराएगा, खिलखिलाएगा॥
परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।