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नजर

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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नजर से मिली नजर मुलाकात हो गई,
आये ख्याल दिल में शब्बे बारात हो गई।

आये वो पास मेरे,धड़कन बेहिसाब हो गई,
नजर झुकी रही,दीदार-ए-याद हो गई।

चमकता है चाँद अपनी चांदनी के साथ,
हम बिछड़े क्यों और कैसे ये मुलाकात हो गई।

आये हो आज तुम महफ़िल में गर यहां,
नजरों ही नजरों में अनकही बात हो गई।

चलो एक बार बन जाए फिर हम अजनबी,
नजरें उठा के देखो,फिजा बेबात हो गई॥

परिचय-निशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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