कुल पृष्ठ दर्शन : 249

‘बारिश-ए-दौरा’

सुनील जैन राही
पालम गांव(नई दिल्ली)

********************************************************

ट्रेन का-बारिश का देर से आना और किसान का रोना कोई नई बात नहीं है। बारिश,किसान,कीचड़,जाम,सड़क का बह जाना, आदि-आदि नई बातें नहीं हैं। नई बात तो तब शुरू होती है,जब सरकार नई हो,मंत्री नया हो,मोहल्‍ला नया हो (कच्‍ची कालोनी), रहने वाले नये हों तो समस्‍याएं भी नई होंगी।
पुरानी बस्तियों में सड़कें नहीं होती,किसी जमाने में हलवाई के पेट की तरह चौड़ी होती होंगी,लेकिन अब किसान के पेट की तरह पिचक गई हैं। हलवाई के पेट के अतिक्रमण के कारण साइकिल रिक्‍शा भी टेढ़ा होकर निकलता है,लेकिन साईकल आराम से निकल जाती है। दूधवाली साइकिल हलवाई की दुकान से आगे नहीं जा पाती,इसलिए हलवाई की दुकान के पास बारिश होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। वहां सुबह जाम लग जाता है,और शाम को दारू की दुकान पर जाम होता है। दोनों पर बारिश का वैसा ही असर होता है,जैसे भारत के लिए हाफिज सईद का गिरफ्तार होना। जाम लगना भी नई बात नहीं है। नई-पुरानी सरकारों के काम की तरह लोग भी बारिश और जाम के आदी हो गए हैं।
बारिश हर साल आती है,ट्रेन भी हमेशा आती है। ट्रेन हमेशा लेट होती है और बारिश कभी-कभी लेट हो जाती है। ट्रेन के लेट होने की आदत पड़ गई है। अब कोई अखबार नहीं कहता-ट्रेन लेट है, लेकिन बारिश के लेट हो जाने से अखबार,नेता,पुलिसवाले,बाबू-अफसर सभी परेशान हो जाते हैं।
बाबू के आते ही कतार में खड़े लोग जिस क़दर खुश हो जाते हैं, उसी प्रकार बारिश के आते ही सब खुश हो जाते हैं। मैल छुटाने वाले विज्ञापन टी.वी. पर दनादन आईपीएल के छक्‍कों की तरह नज़र आने लगते हैं। बाबू कैन्‍टीन के पकौड़ों के लिए,अफसर बाढ़ मुआवजा राशि के आवंटन के लिए,पुलिस का झुग्‍गी में चैन की झपकी। मरीजों की आवक से चिकित्सक और झोला छाप चिकित्सक खुश। कुल मिलाकर सभी खुश होते हैं,सिर्फ दिहाड़ी मजदूर को छोड़ कर।
बारिश से सभी खुश हो जाते हैं। मौसम विभाग भी खुश। मौसम विभाग की भविष्‍यवाणी का ग़लत होना कोई नई बात नहीं है। नई सरकार के नये मंत्री के लिए बारिश का होना नया है। पहली बार बारिश में बारिश मंत्री बने। अब क्‍या करें मच्‍छरविहीन राजधानी में! बारिश में मच्‍छरों का होना नई बात नहीं है, लेकिन मंत्री तो नये हैं। बेशर्म मच्‍छरों को बारिश से पहले आना चाहिए,मंत्री के आने के पहले आना चाहिए। बारिश के बाद मंत्री पकौड़े खायेंगे या मच्‍छरों को टंकियों में ढूंढेंगे। मंत्री का दौरा तब तक सफल नहीं होता,जब तक डेंगू मच्‍छरों की आवक न बढ़े। अखबारों में खबर आएगी-इतने नये मरीज। मरीज तो हर साल आते हैं,लेकिन मंत्री कितनी बार आएं। मच्‍छरों और मंत्री के आने से लोग एक समान परेशान होते हैं। एक काटकर चूसता है तो दूसरा चूसकर काटता है।
नई बारिश,नये मंत्री,मंत्री के साथ नये अधिकारी (मंत्री पुराने (डेंगू के अलावा) मच्‍छरों की तरह पुराने स्‍टॉफ को भी पसंद नहीं करते।),पुरानी सड़कें,गलियां,मुहल्‍ले-बस्तियां और नाक बहते बच्‍चों के बीच मंत्री जी का दौरा नहीं होता। वे देखते हैं जनपथ या राजपथ की साफ-सुथरी सड़कें,जहां सोने की मूठ वाली झाड़ू से आभासी कचरा साफ किया जा सके। फाइव स्‍टार होटलों की टंकियों-स्‍वीमिंग पूल में मच्‍छरियों का स्‍नान (डेंगू मच्‍छर साफ पानी में पाया जाता हैl) और संसद के बाहर गांधी जी की मूर्ति के सामने तथाकथित अशिक्षित बच्‍चों को किताबें बांटते तथा बारिश में पकौड़े,चखना आदि के साथ शपथ ग्रहण।
दिल्‍ली में बारिश भी कर्नाटक सरकार हो गई है,कब गिरेगी,पता नहीं। बूंदाबादी की तरह कुछ मंत्री तो गिर गए। मूसलधार बारिश की संभावना है,हो सकता है राजनीतिक बादल फट जाए और कर्नाटक सरकार पूरी ही गिर जाए,सरकार बादलों की तरह अटी पड़ी है। तेज हवाएं चल रही है,शायद बादलों को उड़ा ले जाएं और बारिश ना हो और सरकार गिरे ना ही। केवल बूंदा-बांदी से ही काम चल जाए,लेकिन यह तो तय है कि बारिश आए या न आए,मच्‍छर तो भिनभिनाऐंगे हीl मच्‍छर भिनभिनाएंगे तो मंत्री दौरे पर आएंगे।
दौरा-ए-बारिश जारी है। नेताजी दौरे पर हैं। बाढ़ भी दौरे पर और सूखा भी दौरे पर है। पत्रकार भी दौरे पर हैं,घर बैठे पुराने फुटेज के सहारे रिपोर्ट-दर-रिपोर्ट भेज रहे हैं। सभी के दौरा-ए-बारिश में गरीबी फ्लाईओवर के नीचे दम तोड़ रही है।

परिचय-आपका जन्म स्थान पाढ़म(जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद)तथा जन्म तारीख २९ सितम्बर है।सुनील जैन का उपनाम `राही` है,और हिन्दी सहित मराठी,गुजराती(कार्यसाधक ज्ञान)भाषा भी जानते हैं।बी.कॉम.की शिक्षा खरगोन(मध्यप्रदेश)से तथा एम.ए.(हिन्दी,मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया है। पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन खाते में-व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी है।आपकी कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में लेखनी का प्रकाशन होने के साथ आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। राही ने बाबा साहेब आम्बेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। मराठी के दो धारावाहिकों सहित करीब १२ आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं,रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ४५ से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वविद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैं। कुछ अखबारों में नियमित व्यंग्य लेखन करते हैं। एक व्यंग्य संग्रह अभी प्रकाशनाधीन हैl नई दिल्ली प्रदेश के निवासी श्री जैन सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रीय है| व्यंग्य प्रमुख है,जबकि बाल कहानियां और कविताएं भी लिखते हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-पीड़ा देखना,महसूस करना और व्यक्त कर देना है।

Leave a Reply