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युवाओं के लिए स्वर्ण अवसर है ‘स्टार्ट-अप’

रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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वास्तव में भारत जैसे विशाल जनसमूह के देश में स्टार्ट-अप योजना एक नई सोच, नई क्रान्ति एवं एक नया आविष्कार ही है, जो हमारे ब्रम्हाण्ड में नाद एवं ओंकार के रूप में व्याप्त है और सदा रहेगा, जिसकी अवधारणा हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने हमारे प्राचीन ग्रन्थ, वेद, ऋचाओं, उपनिषदों में संग्रहित की है।

१२ जनवरी २०१६ को विवेकानन्द जी के जन्मदिवस पर ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना में बसे हजारों बेरोजगार युवक-युवतियों पर ध्यान गया और उन्होंने भारत में रोजगार के अवसर के लिए स्टार्ट-अप योजना की शुरुआत की। हमारे पुराने ग्रन्थों में संकलित यही विद्या यह सिद्ध करता है कि, हमारी पृथ्वी व भूमंडल, सभी में एक चलायमान गति है, जो हमारी डिजिटल दुनिया है, जिसे यदि हम नई क्रान्ति के रूप में व्याख्यित करें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इससे हम लाभान्वित होना चाहें तो हो सकते हैं, बस यही विचार श्री मोदी ने भारत में संचालित किया, और बेरोजगार युवकों को न केवल रोजगार मुहैया कराया, वरन् उन्हें रोजगार देने लायक भी बना दिया।
सदियों से चली आ रही इस धारणा को कि, ‘पढ़ना एवं उत्तीर्ण करके किसी नौकरी में लग जाना ही जीवन का ध्येय है,’ को श्री मोदी ने झुठला दिया। उनके विचार से किताबी ज्ञान से अधिक कारगर बुद्धिमत्ता एवं अनुभव ही है। अतः, जिन युवकों के पास व्यवसाय के लिए धन नहीं था, उन्हें मुहैया कराया, कम ब्याज पर बैंक से ऋण दिलवाया, और इनके द्वारा भारत की दिशा-दशा दोनों को बदला गया। इसी परिप्रेक्ष्य में अगर हम महिला उद्यमिता की बात करते हैं तो पहला नाम फाल्गुनी नायर का है, जो भारत की सबसे अमीर स्वनिर्मित महिला अरबपति बन गई हैं। नाईका का आईपीओ अर्थात आरम्भिक सार्वजनिक पेशकश और कम्पनी के शेयर में ८९ प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ अब ६.५ बिलियन डॉलर की मालिक हैं। ऐसे ही महिला उद्यमी चाँदनी खंडेलवाल (ओडिशा) ने बाँस, ताड़ के पत्तों आदि का उपयोग करके स्टार्ट-अप ‘ईकोलूप’ शुरू किया है। ऐसे ही तुलजा टूलिंग शुरू की गई।
प्रश्न यह है कि, स्टार्ट-अप है क्या ? सरल भाषा में एक नई कम्पनी, जो किसी एक व्यक्ति या कुछ लोगों द्वारा चलाई जाती है। यह एक ऐसा व्यवसायिक केन्द्र है, जो शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े होते हैं। यह भारत के लिए एक नई क्रान्ति की शुरूआत है। इसमें कर लाभ, आसान अनुपालन व अन्य सुविधाएँ भी है। यही कारण है कि, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम १३ अक्टूबर २०२३ तक ७६३ जिलों में १,१२,७१८ से अधिक डीपी आईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के साथ भारत विश्व स्तर पर तीसरा परिस्थितिकी तंत्र बनकर उभरा है।
हम धीरू भाई अम्बानी, जे. आर.डी. टाटा, एन. मूर्ति, अजीम प्रेम जी, शिव नादर जैसे औद्योगिक दिग्गजों को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने व्यापार की व्यापकता एवं महत्व को उस समय बताया, जब हमारी धारणा और सकारात्मक सोच नहीं थी।
इसी वजह से आज भारत में ८२ यूनिकार्न हैं।
श्री मोदी का यह कथन कि, ‘हमारे पास लाखों समस्याएं हैं, पर १ अरब से अधिक दिमाग भी हैं, जिसके सहारे हम समस्याओं को सुलझा सकते हैं’ नए उद्यमियों के लिए प्रेरणा है।
महिलाओं के लिए भी स्टार्ट- अप उद्यमिता के आँकड़े जहाँ पहले 14 प्रतिशत थे, अब बढ़कर ५८ है।
भारत में प्रतिभाओं की कमी भी नहीं है, और नित नए विचारों की वृद्धि भी हो रही है, बस आवश्यकता है उसे सही दिशा देने की।
समय परिवर्तनशील है, समय के साथ-साथ मानव जीवन भी परिवर्तित होता रहता है, इसलिए यदि हम बदलाव नहीं करेंगे तो दुनिया की दौड़ में पीछे रह जाएँगे। हमें सौ वर्ष की आजादी जैसे भारत को स्वर्ण युग ही नहीं, स्वर्ग युग भी बनाना है।