डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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संयुक्त परिवार का आधार छूटा,
अपनों का प्यार घटा
रिश्तों का संसार मिटा,
एकल प्यार संग परिवार सिमटा।
भाई-बहन की मजबूत डोर टूटी,
एक बहन और भाई में
संयुक्त परिवार सिमटा,
हर रिश्ता है एक सुंदर उपहार,
अब नहीं दिखाई देता है यह अनोखा प्यार।
शहरी विकास यात्रा में यह धार,
टूटती श्रृंखलाएं अब है हजार
काकी, बुआ और दादा-दादी,
नहीं सुरक्षित है अब यह आबादी।
रिश्ते गायब हो रहे हैं अब,
नहीं दिखती कोई ख़ोज-ख़बर
रिश्तों में अब कहां बात रही,
आपसी खूब तकरार, हर जगह मिली
खुशियाँ और सुकून कहां,
एकल प्यार का है यह जहां
सीमित परिवार में नहीं है खुशियाँ।
अब भरपूर मात्रा में उपलब्ध आज,
ज़िन्दगी में तन्हाई साथी बनकर
दे रही है बस एक यहां,
पुरखों के साथ आ रही
रस्म अदायगी-सी आवाज,
सुकून खो गया है सारी दुनिया में आज।
अब नहीं दिखाई देते हैं,
यहां अब खूबसूरत व सुनहरे पल
जिंदगी में नहीं दिखती अब,
कोई खुशीभरी मीठी आवाज।
रिश्तों में मीठापन लाने के लिए,
संयुक्त परिवार का सम्बल
मजबूत व अनमोल डोर जरूरी है।
खुशियों से भरी ज़िन्दगी पाने के लिए,
आज़ यह बन गई एक,
सर्वोत्तम व श्रेष्ठतम धुरी है॥
परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।