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हिन्दी-महिमा

शकुन्तला बहादुर 
कैलिफ़ोर्निया

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भारत में जो रची बसी है,
वह जनभाषा है हिन्दी।
भारत माँ के माथे की है,
वह प्यारी-सी बिन्दी॥

उत्तरदिशि केदारनाथ में,
गूँज रही है ये हिन्दी।
दक्षिण में रामेश्वरम तक,
व्याप रही अपनी हिन्दी॥

पूर्व दिशा में जगन्नाथपुरी,
में भी तो छाई हिन्दी।
पश्चिम में है बसी द्वारिका,
वहाँ भी सब बोलें हिन्दी॥

अब तो देश-विदेशों में भी,
पढ़ें-पढ़ाएँ सब हिन्दी।
बने राष्ट्रभाषा भारत की,
जगभाषा होगी हिन्दी॥

सभी कहीं सम्मानित होती,
तुलसी ‘मानस’ में हिन्दी।
सूरदास,मीरा के पद में,
शोभित होती है हिन्दी॥

स्वतन्त्रता-आन्दोलन में भी,
सबने अपनाई हिन्दी।
हमको माँ-सी जो प्यारी है,
वह भाषा केवल हिन्दी॥

हिन्दी का उत्कर्ष सदा हो,
सबमें जोश भरे हिन्दी।
गौरवान्वित भारत होगा जब,
सब मिलकर बोलें हिन्दी॥

मौसी-सी प्यारी भारत की,
सब भाषाएँ विकसित हों।
एक सूत्र में बँधे सभी तो,
भारत की संस्कृति की जय हो॥
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुम्बई )

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