देवनागरी लिपि:पथ की बाधाएँ और उपाय

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)**************************************************** यह सर्वमान्य तथ्य है कि यदि हमें अपनी भाषाओं का प्रचार-प्रसार करना है तो भाषा के साथ-साथ इनकी लिपियों को बचाए रखना भी अत्यंत आवश्यक है,लेकिन कई वर्षों में यह देखने में आ रहा है कि हिंदी ही नहीं,अन्य ऐसी भाषाएं जो देवनागरी में लिखी जाती हैं,उन्हें भी ज्यादातर लोगकम्प्यूटर,मोबाइल तथा … Read more

मधुरिम हो सम्बन्ध

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** मधुरिम रिश्ते नित सुखद,हैं जीवन वरदान।अति कोमल नाजुक सतत,निर्भर नित सम्मान॥ निर्भर हो रिश्ते मधुर,त्याग शील परमार्थ।लघुतर जीवन तब सफल,रिश्ते हो बिन स्वार्थ॥ घर-बाहर समाज हो,चाहे देश-विदेश।आपस के व्यवहार पर,रहते रिश्ते शेष॥ रिश्ते हैं अनमोल धन,मधुरामृत उपहार।सखा सहोदर पूत सम,जीवन का आधार॥ नीति-रीति नित प्रीति पथ,रिश्ते चले अघात।सरल सहज … Read more

यदि ‘लव’ है तो ‘जिहाद’ कैसा ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ************************************************** ‘लव जिहाद’ के खिलाफ उप्र और हरियाणा सरकार कानून बनाने की घोषणा कर रही है और ‘लव जिहाद’ के नए-नए मामले सामने आते जा रहे हैं। फरीदाबाद में निकिता तोमर की हत्या इसीलिए की गई बताई जाती है कि उसने हिंदू से मुसलमान बनने से मना कर दिया था। उसका मुसलमान प्रेमी … Read more

शक्ति पुंज हैं हम

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’बहादुरगढ़(हरियाणा)***************************************************** मनुष्य की शक्ति का एहसास स्वयं उसके सिवा और कौन कर सकता है ? अपने अन्दर की ऊर्जा को तभी जान पाएंगे,जब आप उमंग से भर कर कुछ नया करने की ठान लेंगे। विभिन्न वैज्ञानिकों ने बहुमूल्य खोजों से जहाँ जीवन को इतना आसान बना दिया तो उसके पीछे उनके अंतर्मन की … Read more

खनकती चूड़ियाँ तेरी

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** खनकती चूड़ियाँ तेरी,मुझे क्यों बुलाती हैपायल की खनक,भी हमें बुलाती है।हँसती हो जब तुम,तो दिल खिल जाता है।और मोहब्बत करने को,मन बहुत ललचाता है॥ कमर की करधौनी,भी कुछ कहती हैप्यास दिल की वो,भी बहुत बढ़ाती है।होंठों की लाली हँसकर,हमें लुभाती हैऔर आँखें,आँखों से,मिलने को कहती है॥ पहनती हो जो,भी तुम परिधानतुम्हारी खूबसूरतीऔर … Read more

अभी नहीं है थमने का…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** अभी नहीं है थमने का,यह समय है आगे चलने का।‘लॉकडाउन’ से बाहर निकल कर,‘कोरोना’ संग ढलने का।कोरोना अभी तक थमा नहीं है,कोरोना अभी तक रुका नहीं है।वैक्सीन इसकी हाथ नहीं है,टीके का भी साथ नहीं है।योग करो निरोग रहो तुम,सुबहो-शाम टहलने का।अभी नहीं है थमने का,यह समय है आगे … Read more

आई शरद ऋतु

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आई है मौसम जाड़े की बहती हवाएं मंद-मंद,मौसम वाली फूल खिले हैं,है बिखेरती मीठी सुगंधl रंग-बिरंगी तितली आती,फूलों का मुख चूम के जाती,इस डाली से उस डाली पर,घूम-घूम कर इठलातीl हर फूलों पर भँवरा देखो कैसे हैं मंडराता,जैसे साजन-सजनी को,देख-देख गुनगुनाताl जब से आई ॠतु शरद की,बहती हवा सिलोरी,कांपत दोउ होंठ … Read more

भारतीय भाषाओं में है आत्मनिर्भरता का मूल

प्रो. गिरीश्वर मिश्रदिल्ली********************************************************** भाषा संवाद में जन्म लेती है और उसी में पल-बढ़ कर समाज में संवाद को रूप से संभव बनाती है। संवाद के बिना समाज भी नहीं बन सकता न उसका काम ही चल सकता है,इसलिए समाज भाषा को जीवित रखने की व्यवस्था भी करता है। इस क्रम में भाषा का शिक्षा के … Read more

मुंडेर पर रिश्ते

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज के माहौल में रिश्ते,मुंडेर में बैठे हुए हैंहम खाली बर्तनों की तरह,घरों में ऐंठे हुए हैं। भावनाओं की कश्ती जो,कभी खेते थे हमजर्जर हो चुकी वो,और छितरा गए हम। मुंडेर पे कागा बोलता था,खुश होते थे हमकौन आएगा कहां से,अंदाज़ा लगाते थे हम। संस्कारों के बीज सूख गए,फ़सल … Read more

लोभ में आकर न छोड़ें संस्कृति और समाज

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** अक्सर हम संस्कृति की बात करते हैं,पर कोई पूछे कि संस्कृति है क्या,तो क्या सही-सही जबाब दे पाते हैं ? संस्कृति को परिभाषित करना कठिन है; क्योंकि यह कोई वस्तु नहीं है। यह समझने की चीज है। यह हमारी भावनाओं को उजागर करने वाला वह दीप है,जो हमें औरौं … Read more