स्वप्न करें साकार

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** स्वप्न रहेंगे स्वप्न,अगरतुम देख इन्हें ना जागोगे,प्रस्तर तभी बनेंगे मूरतजब तुम इन्हें तराशोगे। पावन ध्येय,लगन हो सच्चीहर बाधा मिट जाती है,मिल जाती है दिशा लक्ष्य कीराह स्वतः बन जाती है,मिले लक्ष्य,जब पथ के कण्टककुचल सभी तुम डालोगे।प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत,जब तुम इन्हें तराशोगे॥ उठती लहरों से डरा जो,उसनेकब दरिया … Read more

जिस दिन सब्र का बांध…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** बहुत दर्द दफन है,लोगों के दिलों मेंकर नहीं सकते कुछ,इसलिए सभी मौन हैं।कब तक दर्द के साथ,लोग जिंदगी जीएंगे ?जिस दिन सब्र का,बांध टूट जाएगा।उसी दिन भारत का नक्शा,पूरी तरह बदल जाएगा॥ आज तक ऊपर वालों,और नीचे वालों को दियापर मध्यम वर्ग वालों से,तो हरदम लिया।पर आज तक किसी ने,उनके लिए कुछ … Read more

न दें हमें हारने

डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभबागलकोट (कर्नाटक) ********************************************************************** ‘करोना’ का कहर है,यह चीनी जहर है,संसार इसका घर,टूट रहे सपने। गाँव शहर हैं बंद,छीन लिया आनंद,पेट को न आटा-रोटी,हँसी भूले हम। सती पति इस बार,कर रहे तुलाभार।मैं-मैं,तू-तू कर,लगे हैं झगड़ने। घर पर आहाकार,करोना कृत्य विकार,बेलन खाकर सिंह,सीखे झाडू पोंछने। शांति-क्रांति सब भ्रांति,निकाल दिए विभ्रांति,सरस विरस मिलें तो समरसी … Read more

स्वारथमय अब दिख रहे,सारे ही सम्बन्ध-प्रो. खरे

ऑनलाइन कवि गोष्ठी कराई संस्कार भारती ने   मंडला(मप्र)। संस्कार भारती(उज्जैन) महानगर साहित्य विधा द्वारा सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी की स्मृति में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि पूर्व नामांकित पार्षद तथा सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विमल गर्ग रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश दवे ने की। गोष्ठी में सुविख्यात साहित्यकार प्रो.शरद नारायण … Read more

फूल वो मुरझा नहीं सकता

प्रिया सिंहलखनऊ(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* (रचना शिल्प: बहर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) मज़ा परदेश में क्या है उसे समझा नहीं सकता,सुकूँ जो घर में मिलता है कहीं वो पा नहीं सकता। सुनो ऐ बाग़बाँ गुलशन पे अपने तुम नजर रखना,ये मत समझो खिला जो फूल वो मुरझा नहीं सकता। बुढ़ापे की थकन कर लो जवानी में ज़रा महसूस,जो … Read more

जैसा भगवान चाहें

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ********************************************************************** “बापू प्यास लगी है। मेरा गला सूखा जा रहा है। अब मुझसे,चला नहीं जा रहा है।”छ:साल की बेटी,अपने पिता को डबडबाई ,आँखों से कातर स्वर में कहती है। उसके पिता नन्हीं बेटी को,सांत्वना और भरोसा देते हैं कि-“बिटिया बस सामने झोपड़ी दिख रही है। वहां हमें पीने के लिए … Read more

सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी ने सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया है,भारत की हर भाषा के सँग मिलकर साथ निभाया।अंग्रेजी ने किन्तु खींच दी बँटवारे की कटु रेखा-काले अंग्रेजों ने अंग्रेजी का जहर पिलाया है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में … Read more

जिंदगी ठहर गई…

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** जिंदगी ठहर गई है यादों में रह गई है,खुशियाँ जिंदगी अब भी खुशकिस्मत को मयस्सर आम इंसान के ख्वाबों में बस गई है।सुबह सड़क पे निगलना बाँहों में बाँहें डाल कर टहलना,बाज़ार की रौनक,शॉपिंग माल,नाइट का डिनर बस बात की बात रह गई है। पार्टियों का दौर,गीत-गाने का शोर,वन्स मोर-वन्स … Read more

जीवन में आध्यात्म का महत्व

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)******************************************************************** “ॐ संगच्छध्वं संवदध्वंसं वो मनांसि जानतादेवा भागं यथा पूर्वेसञ्जानाना उपासते॥”आध्यात्म का शाब्दिक अर्थ है-अंतर्मन हो जाना। अर्थात,अपनी आत्मा की आवाज है।जीवन में आध्यात्म का बड़ा ही महत्व है।आध्यात्म एवं योग दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। योग साधनाओं में यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि,बंध एवं मुद्रा सत्कर्म युक्त आहार मंत्र जप युक्त कर्म आदि साधनाओं से … Read more

मैं और हम

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** ‘मैं’ और ‘हम’ में बस इतना फर्क है,मैं अहम् को अपनाता है औहम अहम् को धिक्कारता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है,मैं अपनेपन में जीवन चाहता है और…हम अपनापन में जीवन देखता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है,मैं संकीर्णता में सोचता है और…हम व्यापकता की … Read more