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सब सतर्क रहो ना

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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डरने-डराने की अब बात करो ना,
भय-आतंक को मन में भरो ना।
वायरस ‘कोरोना’ नहीं अमर विषाणु,
बरत के एहतियात,सब सतर्क रहो ना।

कोई अफवाहों को अब हवा न देना,
जानबूझ कर न जीवन संकट लेना।
बात बतंगड़ बन भी जाए तो,
अक्ल अपनी इस्तेमाल करो ना।
डरने-डराने की बात करो ना…

मुँह पर मास्क,हो हाथ सेनेटाइज,
अनजान से भी हो यह समझाइश।
हाथ जोड़कर सब करें अभिवादन,
‘सामाजिक दूरी’ में अब स्वयं रहो ना।
डरने-डराने की अब बात करो ना…

खाँसते-छींकते इतनी-सी सावधानी बरतें,
बाँह मोड़कर,ढाँके मुँह रुमाल की परतें।
भीड़ में भी जब कोई ऐसा करे तो,
दो मीटर फिर उससे दूर रहो ना।
डरने-डराने की अब बात करो ना…

मौत और बीमारी से थोड़ी दूरी अच्छी,
साफ-सफाई से रहें,करें सेनेटाइज बस्ती।
सात्विक भोजन को सब ही अपनाकर,
आमिष से भविष्य में परहेज करो ना।
डरने-डराने की अब बात करो ना…

तीमारी में चिकित्साकर्मी दिन-रात लगे हैं,
शासन-प्रशासन एकजुट प्रयत्न करे हैं।
सुरक्षा-सैनिक सड़कों पर मुस्तैद डटे हैं,
इन सबके लिए तुम ‘घर में रहो ना।’
डरने-डराने की अब बात करो ना…

आज मन्दिरों की सब घण्टियाँ चुप-सी,
अजान-गुरुबानी में बनी है खामोशी।
सब दीन-गरीब का करके सहयोग तुम,
ईश्वर को मन-ही-मन बस याद करो ना।
डरने-डराने की अब बात करो ना…

‘तालाबंदी’ में,सारी दुनिया बंद पड़ी है,
सड़कें सूनी,घरों के बाहर कुंडी अड़ी है।
‘अजस्र’ करे हाथ जोड़ तुमसे बिनती,
खुद बच,भारत को सुरक्षित करो ना।

डरने-डराने की अब बात करो ना,
भय-आतंक को मन में भरो ना।
वायरस ‘कोरोना’ नहीं अमर विषाणु,
बरत के एहतियात,सब सतर्क रहो ना॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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