स्वार्थ छोड़ दे मानव

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* स्वार्थ छोड़ दे मानव,वरना मिट जाएगा तू, फिक्र कर जरा धरा की,वरना रोएगा तू। बर्बाद मत कर पेड़,पौधे,पर्यावरण यूँ, अपने प्राण मत और खतरे में…

Comments Off on स्वार्थ छोड़ दे मानव

हमारी वसुंधरा

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… सम्मान करो,तुम वसुंधरा का, जिसने हमको जीवनदान दिया है। मत भूलो तुम उसके ऋण को जिसने वायु-प्राण दिया है, सम्मान…

Comments Off on हमारी वसुंधरा

मैं धरा

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** एक लंबे समय से मैं धरा तुम सब जीव-जंतु,प्रकृति,पर्यावरण को अपने में समाहित किए मजे से जी रही हूँ। प्यारे-प्यारे मनुष्य,सुंदर फल-फूल,कल-कल संगीत सुनाती नदियां,विशाल पठार…

Comments Off on मैं धरा

रचना पाठ के साथ पुस्तक लोकार्पित

इंदौर। २० अप्रैल शनिवार को देवी अहिल्या केन्द्रीय पुस्तकालय में जनवादी लेखक संघ के मासिक रचना पाठ के ६६ वें क्रम में सिंधी के वरिष्ठ कवि चुन्नीलाल वाधवानी की हाल…

Comments Off on रचना पाठ के साथ पुस्तक लोकार्पित

धरती से है इंसान

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती अपनी धारिणी,माता रूप समान। करो वन्दना प्रेम से,इनसे हैं इंसान॥ इनमें हैं सारा जहां,सारा हिंदुस्तान। तिलक लगा…

Comments Off on धरती से है इंसान

बेजान पत्थर

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** ना मन्दिरों में महफूज है, ना मस्जिदों में सलामत है। कलियों के खिलने पर अब, बागों-बगीचों में भी बगावत है। अब तलक यकीं था…

Comments Off on बेजान पत्थर

सुहाना पागलपन

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** वह निहारती है तो मैं नजरें झुका लेता हूँ, वह हया के परदे में सिमट जाती है जब मैं उसे एकटक देखता हूँ, शबनम-सी लरजती…

Comments Off on सुहाना पागलपन

ममतामयी ऐसी मेरी वसुंधरा

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… जिसका आँचल है रत्नों से भरा, ममतामयी ऐसी मेरी वसुंधरा। ऋण तेरा कैसे चुकायेंगे हम, सौंदर्य वरदान है तुमने दिया।…

Comments Off on ममतामयी ऐसी मेरी वसुंधरा

वो मिले कहीं तो कहना बात बेचता हूँ…

दीपेश पालीवाल ‘गूगल’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************** घूम-घूम नगर-नगर अपनी हसीं रात बेचता हूँ, और वो मिले कहीं तो कहना,बात बेचता हूँ। अगर भुखमरी है देश में रहने दो,मुझे इन सबसे…

Comments Off on वो मिले कहीं तो कहना बात बेचता हूँ…

बात समझने की है..

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** नजर से नजर मिलाकर बात कर, झूठ ही तो टिका है नाहक ना डर। बात समझने की है ऐ मूर्ख मानव, अर्थहीन…

Comments Off on बात समझने की है..