चिंता कीजिए
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** यह कैसा वर्तमान… ?जिसमें हैं अनेक सामाजिक विडम्बनाएंरोज गिर रहे नैतिक मूल्य,रिश्ते-नाते भी बिखर रहे। स्वार्थ केन्द्रित हो रहा है हर व्यक्ति,जारी है राजनीतिक अवमूल्यन भीआगे बढ़ता…