सबको दो सम्मान

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* नफ़रत को मिलता नहीं, एक भी खरीदार।फिर क्यूँ फलता-फूलता, नफ़रत कारोबार॥ इससे रहकर बेख़बर, कहता क्या संसार।क्षमताओं को हर घड़ी, देना है विस्तार॥ निजी…

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दूर किया अँधियार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मानवता की सीख से, जगा दिया संसार।हे गौतम! तुमने दिया, हमको जीवन-सार॥ सामाजिक नवचेतना, का बाँटा उजियार।प्रेम-नेह के दीप से, दूर किया अँधियार॥ कपिलवस्तु के थे…

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दिलों में हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** तन्हाइयों में हूँ न कहीं महफ़िलों में हूँ,मुझको तू ढूँढता है कहाँ मैं दिलों में हूँ। मैं तेरे हर क़दम पे तेरा हमक़दम हूँ…

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संविधान ने दिया अधिकार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मुझे नहीं अधिकार दिया है, एक पुजारी बन पाऊँ।संविधान में प्राप्त मान है, गर्व से जग को बतलाऊँ॥ कहें पुजारी नारी देवी, फिर क्यों मान अधूरा…

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खुदगर्जी

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मुसीबतों में हम जिनकी मदद करते हैं,खुदगर्ज लोग अक्सर ये भूल जाते हैं। समझते हैं अपने आपको शहंशाह,और किए हुए वादों से मुकर जाते हैं। जो पैसों…

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बिछाया जाल

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* विजयी विश्व तिरंगा झंडा सदैव,हमें नील गगन में लहराना हैजब भी दुश्मन आ जाए सरहद पे,मस्तक काट कर वहीं गिराना है। प्राण रहे चाहे मौत ही…

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राष्ट्र प्रेम चहुँ प्रगति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** पारायण कर्तव्य पथ, गढ़े कीर्ति फल मान।मानवता नैतिक पथी, बनता वही महान॥ भूले निज कर्त्तव्य को, मांगे निज अधिकार।लक्ष्य स्वार्थ की सिद्धि बस, घृणा-द्वेष…

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सात जन्मों का बंधन

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* शादी में गाते हैं सात फेरे सात जन्मों का बंधन,एक ही जन्म में तो लोगों को करना पड़ता क्रंदन। पति को पत्नी नहीं पसंद,…

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शीत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धुंध छाई,लुप्त सूरज,शीत का वातावरण,आदमी का ठंड का बदला हुआ है आचरण। रेल धीमी,मंद जीवन,सुस्त हर इक जीव है,है ढके इंसान को ऊनी लबादा आवरण। धुंध…

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अंजाम क्यों हो ‘श्रद्धा’ सा तुम्हारा!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** श्रद्धा हत्याकांड... सोया था मैं गहरी नींद में,एक मुझे सपना आयाहाथ पकड़कर, गहन झंझोड़कर,जैसे था मुझे नींद जगाया। एक दिखा अस्पष्ट-सा साया,जो धुंधला-सा लगता…

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