७ दशक की स्वतंत्रता और चंदू भैया की शोध डायरी…

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) ****************************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. हमारे चंदू भैया सामाजिक और साहित्यिक जीव हैं और उनका जन्म भी हमारी तरह स्वतंत्र भारत में हुआ,इसलिए उनने भी बचपन में पुस्तकों में पढ़ा और अध्यापकों से सुन रखा था कि भारत स्वतंत्र है। तभी से उनको ये आभास होने लगा था कि भारत में रहकर वो … Read more

दल-बदल का विषाणु

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************************* ‘किफायती लाल’ मेरे शहर के नामी-गिरामी नेताओं में शुमार हैं। वे विधायक से लेकर सांसद तक के ओहदे तक पहुंच चुके हैं। सुबह की सैर के वक्त मुझे मिल गए। हालचाल पूछने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि इन दिनों राजनीति के क्षेत्र में दल-बदल विषाणु हावी है। मुझे लगता है … Read more

अख़बार रद्दी कर गया विकास

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) ****************************************************** सुबह का अखबार शाम को रद्दी हो जाता है,यह तय है पर इस बार अखबार सुबह-सुबह ही रद्दी हो गया। ये चंदू भैया के जीवन में किसी हादसे से कम नहीं है। पूरे ४ रुपए का अखबार चंदू भैया को लेना पड़ रहा है। वो भी मजबूरी में,क्योंकि बचपन से ही चंदू … Read more

भारत-चीन संबंध बनाम ‘रायचंद’

अशोक कुमार सेन ‘कुमार’पाली(राजस्थान)********************************************************************** व्हाट्सएप और फेसबुक यूनिवर्सिटी के धुंआधार विद्वान भारत-चीन संबंधों पर रणनीतिक विशेषज्ञ बन कर अपना ज्ञान बांट रहे हैं,तो मुझे भी लगा बहती गंगा में हाथ धो लेने में क्या हर्ज है ?जमीनी हकीकत भले ही मुझे नहीं पता तो क्या हुआ! विदेश सचिव जयशंकर प्रसाद को सलाह तो दे ही … Read more

‘चलायमान’ पर आया ‘विद्यालय…’

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************************* उस दिन मुझसे बेटी ने कहा-“पापा घर में आप बनियान में इधर-उधर न घूमा करें, क्योंकि मोबाइल (चलायमान) पर अब विद्यालय घर पर आ गया है। कल मोबाइल पर मिस मुझे पढ़ा रही थी तब आप बनियान में मेरे पीछे घूम रहे थे। यह दृश्य देखकर मिस शरमा गयी थीं और … Read more

जंगल में चुनाव

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)******************************************************************* जंगल में है इस समय ख़ुशी भारी,क्योंकि चल रही है चुनाव की तैयारी। चुनाव को देखकर शेर ने किया है यह वादा,अब उसने किया है शाकाहारी होने का इरादा। शेर और बकरी एक ही घाट का पानी पीएंगे,साथ जिएंगे और साथ ही मरेंगे। बिल्ली का है यह वादा,उसने छोड़ दिया … Read more

अर्थव्यवस्था के नाज उठाने को मजदूर बुलाए जाते हैं…

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************************* ‘तालाबंदी’ के दौर में अर्थव्यवस्था बीच में बाजार में गिर गयी थी। उसे उठाने का प्रयास तब पुलिस वालों ने किया,लेकिन वे उसे उठा नहीं पाए। पुलिस वाले तो उस पर सिर्फ लाठियां चला रहे थे और कह रहे थे कि मुआ अर्थव्यवस्था को भी इसी तालाबंदी के वक्त में गिरना … Read more

आत्म निर्भर

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ सोलन(हिमाचल प्रदेश) ******************************************************************* एक कुख्यात डॉन ने, ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना का यूँ पालन किया, अपने लिए नोट छापने का काम चालू किया। और अपनी, अवैध हथियार फैक्ट्री को सुचारू रूप से, चलाने के लिए बैंक में ऋण के लिए आवेदन दिया। रिज़र्व बैंक ने, जारी किया है फरमान, कि आत्मनिर्भर बनने … Read more

कब्रिस्तान में `कोरोना`

नवेन्दु उन्मेष राँची (झारखंड) ********************************************************************* `कोरोना` को लेकर कब्रिस्तान में हलचल तेज हो गई थी। प्रत्येक मुर्दा यह जानने को बेताब था कि आखिर कोरोना क्या है ? कुछ मुर्दे तो कोरोना देखने के लिए शहरों में जाना भी चाह रहे थे,लेकिन मुर्दा संघ के नेता ने उनसे कहा-“अपनी कब्र में सुरक्षित पड़े रहें,किसी भी … Read more

दमघोंटू नहीं,जेबकतरा भी है `कोरोना`

नवेन्दु उन्मेष राँची (झारखंड) ********************************************************************* `बोतलदास` मेरे पास आया और बोला कि,यार मैं तो अब तक `कोरोना` को महज एक बीमारी समझ रहा था लेकिन यह तो जेबकतरा भी है। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें इसका आभास कैसे हुआ कि कोरोना एक बीमारी नहीं होकर जेबकतरा भी है। उसने कहा,मैं एक केन्द्रीय कर्मचारी हूँ और … Read more