कुछ फर्ज भी हमारा है

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** तुमने दिया है जीवन हमें,कुछ फर्ज भी हमारा है।आँखों में जो भी है ख्वाब,वह सिर्फ तुम्हारा है॥ गौतम,महावीर,राम,कृष्ण,जन्मे हैं तेरी धरती पर,आजाद,भगतसिंह,बिस्मिल्लाह,कुर्बान हुए तेरी हस्ती पर।हम…

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कहना मेरा मान लो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** कहना मेरा मान लो,करना है कुछ काम।बिना काम के जिंदगी,होती है बदनाम॥होती है बदनाम,सोच लो अब क्या करना।बिना काम आराम,मनुज रे तुझको मरना॥कहे 'विनायक राज',संग…

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ऋतुओं का लेखा

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** जिंदगी के हिसाबों जैसी,ऋतुएं हिसाब करती हैंतपती धूप में शीतलता,का भी जवाब करती हैं। ऋतुओं का लेखा-जोखा,मनुष्य का बही खाता है,कर्म बीज की खाद जैसी,फसलों का फ़ल पाता…

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लहरों-सी स्मृतियाँ

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** स्मृतियाँ होती है समुद्र की लहरों की तरह,एक आती-जाती है,मारती है टक्कर किनारों परटोहती रहती है रास्ता यहां-वहां,मथती रहती है दिमाग कोफिर चली जाती है कुछ पल के…

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सजनी का विरह

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उफ़ ये बासंती बयार क्यों जियरा मेरा जलाये,दूर बसे हैं साजन मेरे याद बहुत ही आये। ये शीतल पुरवाई तन में कांटों-सी चुभती है,अब मुझसे ये…

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पुलवामा का गम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** आज फिर,आँखें हो गई नमयाद आ गया,पुलवामा का गमकितना दर्द सहा होगा,कैसे निकला होगाउनका दम। भारत माता के,वीर सपूतों नेसरहद पर,लहु बहाया है हरदमकभी नहीं,संघर्ष से हारेदेश…

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करीब से अपने गुजरने दो

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* हृदय के तटबंध खोल दो,भावों की सरिता बहने दोअनकहे शब्द बिखरने दो,उन्मुक्त श्वाँस लेने दो। सूरज की लालिमा में रंगने दो,स्वर कोकिल का सुनने दोबसंती…

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आवाज दिल की सुनो

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)***************************************************** तेरे प्यार में डूब गया दिल,कुछ कहता है यह सुनोना करो तुम अनसुना,आवाज दिल की सुनो। जिंदगी है बहुत हसीन,महसूस तो करो एक बारनहीं आता मौसम बार-बार,बात जरा…

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चिराग़ जला रखना

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* परिश्रम की लौ सदा ही जला रखना।प्रतिष्ठा,यश औ सम्मान बना रखना। सफल रिश्तों का होता बस यही उसूल,बेकार,फ़िज़ूल की बातों को भुला रखना। ख़्वाहिशों की…

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दीप्त दीपिका हो तुम…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जैसे रितिका हो तुम,प्यारी प्रीतिका हो तुम…। गहन बासंतिक कोई,जैसे वीथिका हो तुम…। मंदिर मध्यम जलती,दीप्त दीपिका हो तुम…। हर्षाती मृदु मधुरस्वर गीतिका हो तुम…। कोमल तरल…

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