माँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* है माँ की शक्ति अपार माँ है सृष्टि का आधार, माँ के जैसा कोई नहीं माँ का मान कीजिये। माँ ईश्वर का रूप है माँ…

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सूझ-बूझ से काम करना यार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सूझ-बूझ से काम को,करना सबको यार। काम बिगड़ जाते सभी,दिन होता बेकारll करो मेहनत हो लगन,मन में सोच विचार। होता रोशन नाम फिर,गुण…

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कोई खिड़की खुल जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* ऊँची चाहे मीनार हो, सख्त बहुत दीवार हो अदम्य साहस गर तुझमें, नींव इमारत हिल जाएगी कोई खिड़की खुल जाएगी। धुंधला है चाहे आईना,…

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रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  एक नग़मा बना लीजिए, रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए। अपनी कमियों के एहसास को, बांसुरी सा बजा लीजिए। राह के ख़ार को चूम कर,…

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हवा जहरीली

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** नन्हें-नन्हें बच्चों की भी,अब आँखें क्यूँ गीली हैं, सुर्ख हरे पौधों की पत्ती,हरी नहीं क्यूँ पीली है। पावन पुण्य पवन भोर का,कड़वा कड़वा लगता है,…

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ज़िन्दगी हरदम लेती परीक्षा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:काफ़िया-आर,रदीफ़-है मिलता, बहर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) फ़क़त ही याचना करके,कहाँ अधिकार है मिलता, उठा गाण्डीव जब रण में,तभी आगार है मिलता। नहीं मिलता यहाँ…

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गौरेया अँगना में आजा..

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** गौरेया इंसानों के साथ रहने वाला छोटा पक्षी(चिड़िया) वर्तमान में विलुप्ति की कगार पर जा पहुंचा है। ये छोटे-छोटे कीड़ों को खाकर प्रकृति का संतुलन…

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हिन्दी भाषा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ऐ हिन्द में रहने वालों, हिन्दी का मान बढ़ाओ। हिन्दी भाषा की ही तुम... हिन्दी भाषा की ही तुम, सारे जग में अलख…

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शिक्षा

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** शिक्षा का उद्देश्य है, नर चरित्र निर्माण। ईश्वर-आत्मा-सत्य की,.com हो जिससे पहचान। शिक्षा है चरित्र का, साधन क्रम अनुकूलl साध्य वस्तु चरित्र है, शिक्षा साधन…

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पलायन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** गाँव और खलिहान सब, रहते थे भरपूर। घर-घर में खुशियां भरी, पुष्प बिखेरे नूरll गरमी या बरसात हो, या सर्दी हेमंत। चहल-पहल थी गाँव में,…

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