गुरु नानकदेव

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** थे गुरु नानकदेव जी,युग के पुरुष महान। की जिनने संसार को,संस्कृति नई प्रदानll कहते नानकदेव जी,परम पुरुष है एक। उसकी इच्छा में चलें,छोड़ सभी उद्रेकll…

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जीवन जंग है

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** यह जीवन तो एक जंग है, यहाँ बदलता सबका रंग है सभी कहते,ओ शरीफ़ हैं, व्यवहार से,जमाना दंग है यह जीवन तो एक जंग है,…

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जानना होगा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* भला क्या है बुरा क्या है, मुझे ये जानना होगा बुरी राहों पे चलने से भी, खुद को टालना होगा। सिखाती है हमें ये…

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दीपक

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** हे दीपक! जलते रहना तू निरन्तर, हवाओं से डटना तू होकर निडर। संसार के अंधेरे को मिटाना है तुझे, जग में सोए हुए को जगाना है…

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दीए हम जला लेंगें

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कुछ दीए तुम ले आना,कुछ बाती हम बना लेंगें, डाल तेल प्रेम का,दीए हम जला लेंगें। जब तक लौ प्रेम की जलती,रोशन जहाँ…

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माँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* है माँ की शक्ति अपार माँ है सृष्टि का आधार, माँ के जैसा कोई नहीं माँ का मान कीजिये। माँ ईश्वर का रूप है माँ…

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सूझ-बूझ से काम करना यार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सूझ-बूझ से काम को,करना सबको यार। काम बिगड़ जाते सभी,दिन होता बेकारll करो मेहनत हो लगन,मन में सोच विचार। होता रोशन नाम फिर,गुण…

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कोई खिड़की खुल जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* ऊँची चाहे मीनार हो, सख्त बहुत दीवार हो अदम्य साहस गर तुझमें, नींव इमारत हिल जाएगी कोई खिड़की खुल जाएगी। धुंधला है चाहे आईना,…

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रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  एक नग़मा बना लीजिए, रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए। अपनी कमियों के एहसास को, बांसुरी सा बजा लीजिए। राह के ख़ार को चूम कर,…

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हवा जहरीली

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** नन्हें-नन्हें बच्चों की भी,अब आँखें क्यूँ गीली हैं, सुर्ख हरे पौधों की पत्ती,हरी नहीं क्यूँ पीली है। पावन पुण्य पवन भोर का,कड़वा कड़वा लगता है,…

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