संगम बादल-धरती का

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** महक उठी इठलाई धरती, बादल के आलिंगन से। पशु-पक्षी लगे चहचहाने, पेड़-पौधे भी लगे लहलहाने। बारिश से अठखेलियाँ करते, फुदक रहे थे नौनिहाल। धरती के…

Comments Off on संगम बादल-धरती का

अस्तित्व गाथा

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कब तक रखेंगे अपने को अंधेरे में, कब तक छिपते रहेंगे इतिहासों के पन्ने में। कब तक, हमारे अस्तित्व को सच्चाई से दूर, जातिवाद के अंधकार…

Comments Off on अस्तित्व गाथा

हमारे पिता

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** प्यार और दुलार, सुंदर मीठी बयार ऐसा पिता का प्यार, कैसे करूं उनका गुणगान...। अपनी इच्छाओं को, देकर कुर्बानी हमारी जिंदगी कर दी सुहानी, घर की…

Comments Off on हमारे पिता

हमारे गाँव

वाणी बरठाकुर ‘विभा’ तेजपुर(असम) ************************************************************* बार-बार लौट जाते हैं, हमारे गाँव की उन धूल-कीचड़ भरी राहों पर, गाय बछड़े बैलों के झुंड से धुँधले धूल भरी राहों पर, चलते युवाओं…

Comments Off on हमारे गाँव

पहली बार मिले थे…

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* जैसे पहली बार मिले थे,वैसे ही तुम मिला कराे, जैसे पुष्प बगिया में,वैसे ही तुम खिला कराे। हर आँसू मुस्कान बने,सुख-वैभव का विस्तार…

Comments Off on पहली बार मिले थे…

अनजान प्रियतम

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* सुनो चन्द्र वट, अनजान प्रियतम! मैं रहूँ ना रहूँ... मैं दिखूँ ना दिखूँ, अपनी साँसों में..यादों में..बातों में..., इन हवाओं में..फिज़ाओं में...घटाओं में... बारिश की बूंदों…

Comments Off on अनजान प्रियतम

कर्म का नाम ही धर्म

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* एक देश है,इंसानों के मर्म एक हैं, तन,मन सब एक है,फिर क्यों तेरा धर्म अलग है। मानव है तू,तेरा कर्म ही धर्म है,…

Comments Off on कर्म का नाम ही धर्म

घर बनाना बच्चों,मकान नहीं

काजल सिन्हा इन्दौर(मध्यप्रदेश) ************************************************************************* घर बनाना बच्चों,पर मकान नहीं, बारादरी इतनी लंबी ना बनाना कि हम हँसें तो तुम सुन ना सकोl घर बनाना बच्चों... दरो-दीवार इतनी सख्त ना बनाना,…

Comments Off on घर बनाना बच्चों,मकान नहीं

मौसम

तृप्ति तोमर  भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* तीन ऋतु से मिलकर बना मौसम, जिसमें होता सभी लहरों का संगम। इसमें है बहती हवा का मंजर, जिससे आनंदित होता है सारा शहर। कभी…

Comments Off on मौसम

मैं स्त्री हूँ,पुरुष नहीं बनना

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मैं स्त्री हूँ नदी की तरह बहती हूँ, मुझे सागर नहीं बनना। मैं महीन रेत की कण, जो करती नीड़ का निर्माण मुझे चट्टान नहीं बनना।…

Comments Off on मैं स्त्री हूँ,पुरुष नहीं बनना