मेरे गाँव की हवा

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* हाले दिल गाँव का क्या सुनाऊँ आपको, पहले जन्नत,अब खण्डहर-सा लग रहा है। जिसे देख आँखें सुकून पातीं थी हवाएं, जो अब मन-ही-मन खटक रही…

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वीर सिपाही की ललकार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- भारत में पैदा होकर के मैं इसको नहीं लजाऊँगा, सौगन्ध मुझे है मिट्टी की,मैं खेल मौत से जाऊँगा। दे बलिदान देश भक्तों नें इसकी…

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अजीब रहा वह सफर

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** वो अपने में ही सिमटते रहे, हम भी कुछ अनमने से रहे। बडा अजीब रहा वह सफर, वो खामोश,हम चुप ही रहे। नजरें तो गढ़ी…

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क्या कसूर था…?

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** अलीगढ़ में मासूम बेटी की घटना पर आधारित........... एक मासूम-सी वो कली थी, जिसको खिलने भी न दिया बेटी थी वो सबकी, उसको आगे बढ़ने भी…

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कर्म

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** कर्म कर बंदे तू कर्म कर, दिन-रात सुबह-शाम कर्म कर लाख आएं मुसीबतें पथ पर, खड़े रहो तुम कर्म रथ पर। कर्म कर…

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ये कैसी जवानी है…?

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* अलीगढ़ में मासूम बेटी की घटना पर आधारित...... हाथ लगाया तो डर गई, बाहर निकाला तो मर गईl मछली नहीं यह लड़की की कहानी है,…

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क्या करें,क्यों करें

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ क्या करें,क्यों करें,किसके लिए करें, कोई तो हमें समझाए। मिला है मानव जन्म हमें, तो कुछ अच्छा कर जाएं... ताकि ये जीवन सफल हो जाए। कितना…

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मैं मन हूँ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मैं मन हूँ विचारों का-भावों का, परिचायक हूँ खुशी का घावों का इच्छा,जीवन गति का जनक हूँ, मैं ही शांति हूँ-में ही भटक हूँ।…

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सवाल

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** ये दिल मेरा कितना खाली है पर इसमें सवाल बेहिसाब हैं, मैं जवाब की तलाश में दर-दर भटक रही हूँ, पर मेरे दिल की तरह…

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वृक्षों के कटने का दर्द

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** हमसे पूछो वृक्षों के कटने से दर्द कैसा होता है, कोई हमारा घर जलाता है,उजाड़कर सोता है। काटता है-जलाता है,दूर बड़ा घर बनाता…

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