कल को बदलो आज में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यह कल देगा कल नहीं,अतः देखिये आज। यायावर सच कर्मपथ,बनो सुयश सरताज॥ सार्थवाह ख़ुद का बनो,नीति-प्रीति सम्मान। करो विवश तकदीर को,पूरा हो अरमान॥ कल को बदलो आज में,निर्माणक तकदीर। बनो नहीं मज़बूर कल,कीर्ति फलक तस्वीर॥ रखो आस्था कर्म पर,मिहनत नहीं विकल्प। श्रमित विजय उत्थान पथ,सुदृढ़ हो संकल्प॥ कवि … Read more

लक्ष्मी का अवतार गाय

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** रक्षा करना गाय की,इनसे है संसार। वैतरणी की तारणी,पशुधन प्रण अपार॥ घी मक्खन दधि दूध से,मिले गाय से आज। गाय नहीं कुछ भी नहीं,पूजा कर लो साज॥ माता रूप महान है,लक्ष्मी का अवतार। धन वर्षा करती यही,खुश होते घर-बार॥ इनके गोबर से बने,खेत हेतु बहु खाद। उन्नत फसल … Read more

महके खुशियाँ वतन में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** कवि ‘निकुंज’ शुभकामना,धनतेरस त्यौहार। तन मन गृह सुख सम्पदा,हो मंगल परिवार॥ आलोकित सदभाव से,अमन शान्ति नित गेह। मन विकार मानस मिटे,दीप जले नित स्नेह॥ मिटे सकल दुख आपदा,हो नीरोग उपवेश। राष्ट्र प्रगति हो चतुर्दिक,निर्भय संबल देश॥ सबजन शिक्षा हो सुलभ,दीप जले सद्ज्ञान। जले पाप आतंक का,दें सबको सम्मान॥ … Read more

शुभ दीपावली

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** राम आगमन की खुशी,दीपावली मनाय। जगमग हर घर द्वार औ,मन सबका हर्षाय॥ बच्चे-बूढ़े खुश नज़र,दिखते हैं सब यार। पहने नव परिधान को,हर्षित हर परिवार॥ घर-आँगन में स्वच्छता,घर-घर दीप जलाय। माता लक्ष्मी-शारदा,मन से पूजा जाय॥ लिए मिठाई हाथ में,माता आज खिलाय। खील बतासे बाँटते,जन-जन खुशी मनाय॥ घर-घर करते रोशनी,जलते … Read more

दीप-वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** लिये रोशनी नेह की,दीपक पहरेदार। उजियारे की वंदना,करने को तैयारll कितनी उजली हो गई,आज अमावस रात। आँगन में संस्कार के, नाच रही सौगातll सबके दिल उजले हुये,दूर सकल अँधियार। अपनेपन से हो रहा,देखो सबको प्यारll दीपों की तो श्रंखला,पहुंची हर घर-द्वार नया-नया लगने लगा,अब सारा संसारll आये सचमुच पल … Read more

चाह मिलन निशि रैन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** तन्वी श्यामा चन्द्रिका,नैन नशीली धार। बिम्बाधर अस्मित वदन,कशिश बनी तलवारll घायल कर अनुराग से,नज़र नुकीली नैन। मचकाती गजगामिनी,उभ नितम्ब हर चैनll उन्नत नित पीनस्तनी,उच्छल जलधि तरंग। अदा रूमानी खासियत,सँवरी तनु नवरंग॥ नैन प्रीति चितवन चपल,मधुरिम भाष सुभाष। गाल लाल किसलय समा,नवरस मन अभिलाषll प्रिय विरही वियोगिनी,बहे नैन रसधार। … Read more

जनता मालिक है मगर…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** नेताओं की बात पर,मत करना मतभेद। लोकतंत्र की नाव में,ये करते हैं छेद॥ कुछ नेता गूंगे यहाँ,कुछ इतने वाचाल। एवरेस्ट के शीर्ष को,कहते हैं पाताल॥ सेवक देखो देश के,रहते मालामाल। जनता मालिक है मगर,नौकर सा है हाल॥ जनता जब बीमार हो,काटे हाय कलेश। सर्दी भी होती अगर,नेता चले विदेश॥ … Read more

परमात्मा

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** परमात्मा मन में बसे,देखो आप निहार। पाओगे अंतर हृदय,बैठे वो साकारll सत्य कर्म की राह पर,चलते सबके संग। निराकार साकार भी,इसके अपने रंगll हर प्राणी के उर बसे,शांत चित्त भगवान। कर लो दर्शन आप ही,परमात्मा हो ध्यानll धरती के कण-कण बसे,निराकार गतिमान। जल-थल अम्बर दीप्त है,सरल सौम्य भगवानll … Read more

करवा चौथी पर्व

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** रीति प्रीति अनुपम प्रथा,करवा का उपवास। आज हुआ प्रियतम सफल,प्रिया प्रेम अहसासll शतंजीव दीर्घायु हो,यश जग में प्रख्यात। सात जन्म का साजना,प्रीत मिलन सौगातll सज़ा थाल कुमकुम फलक,दीप जला ले हाथ। लाल वसन सज आभरण,नवयौवन श्रंगारll रचा हाथ में मेंहदी,बाजुबन्ध सज बाँह। माँग सजा सिन्दूर से,चिर सुहाग मन … Read more

शरद का चाँद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** चंदा देता चाँदनी,देता शीतल नेह। पुलकित तन हर एक के,उल्लासित है देह॥ शुभ्र ज्योत्सना है मधुर,छेड़े मधुरिम राग। ऐ मेरे अनुराग अब,क्यों कर ना तू जाग॥ अमिय बरसता है सतत्,अब तो सारी रात। प्रकृति दे रही ऐ ‘शरद’,यह नेहिल सौगात॥ उजला सबका तन हुआ,मन भी निखरा ख़ूब। हर इक … Read more