नवरंग बिखेरता ‘कंद-पुष्प’

विजयसिंह चौहानइन्दौर(मध्यप्रदेश)****************************************************** समीक्षा… ‘कन्द-पुष्प’ अपने चटख रंग और सुन्दरता के लिए जाना जाता है, जो सामान्यतः पहाड़ीपन में सहजता से पनपता, पल्लवित होता है, मगर यहां बात कर रहा हूँ एकल काव्य संग्रह  ‘कन्द-पुष्प’ के बारे में। कविता के पट खोलते ही अशोक के वृक्ष-सा घनापन, सुकूनदायी छाँव और तटस्थता नजर आती है। सम-सामयिक, सांसारिक … Read more

निःसंदेह जनोपयोगी ‘स्वस्थ और सुखी जीवन के अनमोल सूत्र

पुस्तक समीक्षा…. समीक्षक-यतीन्द्र नाथ राही, भोपाल (मध्यप्रदेश) ‘ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥’हे प्रभु, संसार के सभी प्राणी सुखी रहें, सभी प्राणी रोग आदि कष्‍टों से मुक्‍त रहें, संसार के सभी प्राणियों का जीवन मंगलमय हो और संसार का कोई भी प्राणी दुखी ना रहें। प्रभु ऐसी मेरी आपसे प्रार्थना … Read more

‘धूूप की मछलियाँ’ भाव-संवेदनाओं की कहानियाँ

विजय कुमार तिवारी************************* समीक्षा करते समय केवल सारांश प्रस्तुत करना सम्यक नहीं है। रचना के पात्रों की परिस्थितियाँ, उनके संघर्ष,उनकी संभावनाएं,सुख-दु:ख,रचनाकार की प्रतिबद्धता और समझ सब तो परिदृश्य में उभरते ही हैं। लेखक की संघर्ष-चेतना,प्रतिबद्धता, भाषा और शैली के संस्कार उभरने ही चाहिए।हिन्दी साहित्य में प्रवासी भारतीयों ने कम योगदान नहीं किया है और विदेशी … Read more

पगडण्डी,पहाड़ और झील ही नहीं,सत्यम् ,शिवम् और सुन्दरम् का दर्शन है ‘चरैवेति-चरैवेति’

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* जीवन का सतत प्रवाह काल के तटों से टकराता,उन्हें ढहाता और पुनर्निर्माण करता बहता चला आ रहा है। हर बार की अलग छटा होती है,किन्तु प्रवाह का जल तात्विक रूप से सदा जल ही है। समस्त प्रकृति, परिवेश,गंध,मूल प्रकृति सदा से सर्वत्र एक जैसी ही है। वैदिक ऋषियों ने कण-कण … Read more

‘ये शब्द गीत मेरे’ आमजन की जिजीविषा के स्वर

सुरेंद्र कुमार अरोड़ाग़ज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश) ************************************** मनुष्य ने शब्दों का संसार भले ही स्वयं रचा है,परन्तु शब्दों के रचना-विन्यास की अनुभूति और अभिव्यक्ति की सामर्थ्य तो उसे उस अदृश्य शक्ति ने दी है,जिसे हम ईश्वर के रूप में सम्बोधित करते हैं। शब्दों के माध्यम से मस्तिष्क में उठ रहे उदवेदनों या फिर उद्बोधनों की रचना या सामर्थ्य ईश्वर … Read more

पीड़ा,प्रेरणा और भावों की अभिव्यक्ति है ‘त्रासदियों का दौर’

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)******************************************** ‘त्रासदियों का दौर’ डॉ. अमिताभ शुक्ल का काव्य संग्रह है। डॉ. शुक्ल ने सागर ७ किताबें एवं १०० से अधिक शोध-पत्र विभिन्न शोध पत्रिकाओं तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत किए हैं।आर्थिक गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखने वाले डॉ. शुक्ल को कोरोना काल ने इतना व्यथित किया कि अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करने … Read more

मन को भाएगी मन-गुँजन

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)**************************************************** प्रखर गूँज प्रकाशन के सानिध्य में प्रकाशित पुस्तक मन-गुँजन की रचनाकार रेनू त्यागी (हरियाणा) काफी समय से लेखन के क्षेत्र में अग्रसर हैं। इनके लेखन की खासियत यह है कि,बहुत ही कम शब्दों में अपनी भावनाएं कागज पर उड़ेल देती हैं। तभी तो वह कहती हैं-मामूली सा सवाल थी मैं,और ढूंढने वाले … Read more

अवसरवाद पर घातक प्रहार का अचूक आयुध आका बदल रहे हैं

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय *************************************************************** वैश्विक संस्कृतियों के घालमेल ने उपभोक्तावाद के चंगुल में मानवतावाद को तड़पने के लिए सौंप दिया है। अवसरवाद को कौशल के रूप में परिभाषित किया जाने लगा है। मानव और पशुओं में फर्क मात्र शारीरिक संरचना में रह गया है। ऐसे में लेखनी द्वारा विद्रोह होना स्वाभाविक और आवश्यक भी … Read more

समाज को सकारात्मक परिवर्तन हेतु प्रेरित करेगी धनुष उठाओ हे अवधेश

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय *************************************************************** संत कबीर की उक्ति दु:ख में सुमिरन सब करै…” आज भी प्रयोजन युक्त है। दुखिया है कौन! कबीर बाबा बताते हैं कि,…दुखिया दास कबीर है…।अर्थात् जो समाज के बारे में सोचेगा,वह सामाजिक अवमूल्यन देखकर दुखी अवश्य होगा और एक सामाजिक प्राणी के नाते मनुष्य होने की यह निर्विवाद शर्त भी … Read more

षटरस प्रदान करतीं कविताएँँ जीवन वीणा

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’टीकमगढ़(मध्यप्रदेश) ********************************************************************* अनीता श्रीवास्तव बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। शिक्षण कार्य करने के साथ-साथ साहित्य लेखन में भी रुचि रखती हैं। उनका काव्य संग्रह ‘जीवन वीणा’(अंजुमन प्रकाशन,प्रयागराज) अपने १८४ पृष्ठों के आकार में ढेर सारी कविताओं को समेटे है। इसे लेखिका ने ४ प्रमुख भागों में बाँटा है-भाग-१ में ७७ कविताएँ,भाग-२ में ४६ … Read more