बोली

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बोली- बोली मीठी बोलना,कहते संत सुजान। यही करे अंतर मनुज,कोयल कागा मान। कोयल कागा मान,मनुज सच मीठा बोले। झूठ बोल परिवेश,हलाहल मत तू घोले। शर्मा बाबू…

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प्रकृति का अनमोल उपहार नदी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** नदियाँ कभी रुकती नहीं हैं,एक बार कदम आगे बढ़ाती है तो वापस नहीं आती। जहाँ से शुरू होती है,वापस कभी वहाँ नहीं लौटती। नदियाँ,जिंदगी…

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कोरोनाःअपना फर्ज निभाएं नागरिक

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हमारे देश के चिकित्सक,नर्स, पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी कितनी लगन से 'कोरोना' मरीजों की सेवा कर रहे हैं और समाजसेवियों के तो कहने ही क्या…

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हौंसलों की रवानी लिख रहा हूँ

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** मेरी जिंदगी की मैं आज खुद कहानी लिख रहा हूँ, जब से चला हूँ सफर में मैं वो निशानी लिख रहा हूँ। हर दौर से गुजरा…

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‘कोरोना’ चीन का जैविक विश्व युद्ध: कड़े सवाल

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** जहाँ पूरी दुनिया 'कोरोना' से प्रभावित हो रही है,वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला ? चीन की राजधानी आखिर…

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तेरी चाहत दुनिया की तकदीर

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** लव है पैमाना,नज़रे है मैख़ाना, तेरी चाहत दुनिया की तकदीर दीदार बिन पिए बहक जाना। सावन की घटाएं तेरी जुल्फें अंदाज है मस्ताना, गजगामिनी…

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अहसास

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** `कोराना` सम व्याधि बहु,मनुज नहीं अहसास। हरित भरित सुष्मित प्रकृति,करता सत्यानासll लोभ मोह में जिंदगी,छल कपटी बस झूठ। प्रेम सत्य अहसास बिन,प्रकृति गयी…

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कुछ ही दिनों की तो बात है

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* 'कोरोना' वुहान से चलकर, विश्व-भ्रमण करते हुए आया जो भारत, जहाज में बैठ कर। और दे दी हमें चुपचाप, युद्ध की चुनौती। हम लड़ेंगे, और…

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हिन्दी और उसकी बोलियाँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** १४ सितम्बर १९४९ को हिन्दी को भारतीय गणतंत्र की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। अंग्रेजी को पन्द्रह वर्षों अर्थात् १९६५ तक सह राजभाषा…

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बीता दिन अब

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** दिन गया बीत, अब सांझ गीत। जल उठे दीप, जल तृषित सीप। पंछी अधीर, बह रहा नीर। अति नियति क्रूर, अति महल दूर। हैं थकित…

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