दिल हमारा खो गया

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-२१२२×३-२१२-फाइलातुन×३-फाउलुन)  हुस्न उनका चाँद से ज्यादा नशेमन हो गया। दिल हमारा याद में उनके उन्हीं पे खो गया। जब नज़र उन पे गई तोआशिकाना…

0 Comments

देशभक्ति का अलख जगाती’केसरी’

इदरीस खत्री इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************* निर्देशक अनुराग सिंह की इस फिल्म(केसरी-बेटल ऑफ सारागढ़ी) में अदाकार अक्षय कुमार,परिणिती चोपड़ा,गोविंद नामदेव,राजपाल,वंश भारद्वाज,मीर सरवर हैं। शुरूआत फ़िल्म के गाने से ही हो सकती है-…

0 Comments

ढूँढते रह जाओगे…

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ आने वाले कुछ साल में, मिलेंगे ऐसे हाल में। हर कोई बदहाल में, तरसेंगे बोलचाल में। ढूँढते रह जाओगे...ll माँ को तरसेंगी माॅम,…

0 Comments

राजनीति और चुनाव…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** कद्दावर नेता के निधन की सूचना ऐसे समय आई,जब समूचा देश चुनावी तपिश में तप रहा था। काल कवलित नेता के जीवन-परिचय और…

0 Comments

उड़े रंग-गुलाल

बृजेश पाण्डेय ‘विभात’ रीवा(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** उड़े हो रंग अबीर गुलाल। युवा शिशु करते वृद्ध धमालll होलिका है पावन त्यौहार। लाल भाभी के गोरे गाल। बरस रंगों की रही फुहार। भीगती…

0 Comments

क्या तुझे भी दीवाना याद आता है…

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** कोई क़यामत न कोई करीना याद आता है। जब दुपट्टे से तेरा मुँह छिपाना याद आता है। एक लिहाफ में सिमटी न जाने कितनी रातें,…

0 Comments

फागुन आया

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** हवाओं की नरमी जब मन को गुदगुदाने लगे नई-नई कोपलें जब डालियाँ सजाने लगें, खुशनुमा माहौल लगे,मन में उठें तरंग तब समझो फागुन आया,लेकर खुशियों…

1 Comment

बदलते रंग-रामभरोसे के संग

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* आज वर्तमान परिवेश में व्यक्ति के जीवन में रंगों की अहमियत बढ़ती ही जा रही है,फिर वह होली के रंग हों,मुस्कानों के रंग हों,या…

0 Comments

एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की…

0 Comments

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से अध्याय-६ करती माँ आगाह सदा यों, बेटी अब तू हुई सयानी रखना फूँक-फूँक पग आगे, नाजुक होती बहुत जवानी। समझ न पाती माँ…

0 Comments