श्रमिकों से ही विकास

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* 'श्रमिक दिवस विशेष (१मई)' "श्रमिकों का सम्मान हो, हों पूरे अरमान।यही आज आवाज़ है, यही आज आह्वान॥"     अमेरिका में मजदूर दिवस शुरू होने के…

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कर्मानुसार फल भोगना तय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** जैन दर्शन के अनुसार ईश्वर विश्व निर्माता नहीं है। यदि सृष्टि निर्माता होता तो, सब जीवों को समान बनाता, पर ऐसा नहीं हुआ और यह सृष्टि अनादि अनंत…

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बैठे-बैठे यूँ ही…

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** बैठे-बैठे यूँ ही,कभी अचानकजग सारा सूना-सूना-सा,पराया लगने लगता है। बैठे-बैठे यूँ ही,दिल को क्या हो जाता है ?मन की अवस्था विचित्र-सी,कितना भी कुछ करोबहलाना मुश्किल हो जाता है।…

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चाहूँ आसरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मजदूर हूँहूँ नींव का पत्थरमजबूर हूँ। चाहूँ आसराकरूँ महल खड़ेहूँ बेसहारा। मेरी बेबसीसोता रात को भूखागायब हँसी। कई योजनादूरी सदा सुख सेहूँ तरसता। कैसी सुविधा!सड़क ही जीवनखत्म…

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दिल के लिए

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* हम हुए मदहोश जबसे, दिल हमारा खो गया।बात ऐसी क्या रही जो, दिल तुम्हारा हो गया। प्यार करता हर किसी से, दिल बिना कुछ भी…

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इश्क़ में…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** इश्क़ में,नहीं बना सकताएक शहंशाह की तरहहसीं ताज महल,नहीं भटक सकतावीराने सहरा में,झुलसती धूप मेंनंगे पाँव।बनकर मजनूं,दुर्गम पहाड़ियों कोकाटकर नहीं ला सकता,फ़रहाद की तरहदूध की नदियाँ।नहीं कूद…

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रखें सरलता हरपल जीवन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनुज आचरण वचन सरलता, आडंबर बिन प्रीत मिलन है,टपके निश्छल निर्मल अविरल, अपनापन रिश्ते गुलशन है। सत्य बोध हियतल अनुमोदन, काव्य भाव प्रकटित रचना…

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जितनी कम, उतनी खुशी

डोली शाहहैलाकंदी (असम)************************************** आज ज्यों ही रिंकू सारा काम खत्म कर अपने पति (सौरव) के पास आकर बैठी, पहले दफ्तर के अधिकारी का फोन, फिर कर्मचारी का....। यह देख पत्नी…

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कैसे गाऊँ अपना गीत

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बीता दिन रोटी पानी में,कैसे गाऊँ अपना गीत। हुआ प्रभात जगी नव चिन्ता,बिस्तर छोड़ूं भर लूं पानीपानी के ही पीछे चलती,झाड़ू की भी कथा पुरानी।सुलग अँगीठी में ही…

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मन की कामना

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** भोले के दरबार में, जाते भक्त हजार।झोली भरकर लौटते, पा करके उपकार॥ दर्शन की चाहत मुझे, गौरा माता साथ।मेरे मन की कामना, सुन लो भोलेनाथ॥…

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