प्रकृति को पवित्र बनाओ

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)************************************************** जहरीले धुएं से भरा हुआ, हर शहर नजर आता,कैसे जीवन बचेगा, किसी को समझ नहीं आता। शुद्ध हवा में साँस लेना, हो गई वर्षों पुरानी बात,अब…

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आशा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीतेगा गर्मी का मौसम जब होगी बरसात।उमड़ घुमड़ कर बदरा दिखलायेगा निज औकात॥ प्राची से सूरज निकलेगा किरणें मुस्कायेंगी,होगा नवल प्रभात गोरियाँ मिल मंगल गायेंगी।होगी खतम…

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मोदी के ८ साल:ठोस प्रयत्नों की जरुरत

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************************* पिछले ७५ साल में भारत में १४ प्रधानमंत्री हुए। उनमें से ५ कांग्रेसी थे और ९ गैर-कांग्रेसी हुए। इन गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों में यदि सबसे लंबा कार्यकाल किसी…

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जल की हर बूंद अमृत

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** जल ही कल.... एक-एक बूंद की कीमत है,जल की हर बूंद यहां अमृत है। सदियों से यह है न्यारी,घर-घर में है खूब प्यारी। कुआं पूजन एक संस्कार है,अमृत धारा…

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चिंता न पालो

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद विनम्र’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* गिर-गिर कर संभलना पड़ता है,उठ कर फिर से चलना पड़ता है। मिट्टी की तो किस्मत ही ऐसी,नए सांचे में रोज ढलना पड़ता है। अंतर्मन में…

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आजादी दिलाने में भी पत्रकारिता ने अहम भूमिका निभाई-गिरीश पंकज

राष्ट्रीय संगोष्ठी... इंदौर। स्वराज प्राप्त करने के लिए पत्रकारिता ने अहम भूमिका का निर्वाह कर भारत को आजादी दिलाई। स्वतंत्र भारत की प्रारंभिक पत्रकारिता स्वतंत्रता आंदोलन की पत्रकारिता से प्रभावित…

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दिवस में दिवस-निषेध तंबाकू दिवस

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* कुछ भी कर लीजिए या कह लीजिए-आज के समय में सभी समझदार प्राणी हैं। कैंसर हॉस्पिटल में लगभग सभी चिकित्सक ही ऑपरेशन करने के बाद आराम…

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जल

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जल ही कल..... रचनाशिल्प:मात्राभार -२२ / यति -१२-१० यति के आगे-पीछे त्रिकल होगा। अंत गुरु वर्ण होगा । यह ८ चरणों वाला यानी ४ पंक्ति का…

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पानी का महत्व

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** जल ही कल.... अब कैसे होगा,किसान का गुजारापानी के बगैर खेतों का,बदल गया नजारा।अब कैसे… उजड़ गए हैं बाग-बगीचे,मरने लगे मवेशीसूख गए सरोवर सारे,दिखने लगा किनारा।अब कैसे……

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पुस्तकों का दर्द…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** रह रहकर अतीत को देती हैं दस्तकें,अलमारी में कैद ये उनींदी-सी पुस्तकें। कुछ सोए से हैं पन्ने कुछ रोये से हैं पन्ने,न जाने किसकी याद…

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