झूठ-फरेब का दौर

सुषमा मलिक  रोहतक (हरियाणा) ************************************************************************************* खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का,झूठ-फरेब का चला दौर है, सच्चाई को दबाने को,झूठी खबरों का सोशल साइट पर शोर है। अपनी गलती ढंकने को लोग,दूसरों पर झूठे इल्जाम लगाते हैं, घर की बहन-बेटियों को,हथियार बनाने से भी नहीं कतराते हैं। जिस थाली में खाया उसी में छेद,फिर दूसरों को साँप … Read more

प्यार की जमना है माँ

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** मेरी माँ, ज्ञान की गंगा है प्यार की जमना है। सपनों की गुल्लक है, यादों का गहना है माँ हमारी दोस्त,सहेली और बहना हैl थपकी है प्यार भरी,लोरी की सरगम है, आस्था की भोर नई माँ,श्रद्धा की पूनम है। माँ हमारी सबसे प्यारी सुन्दर और भोली-भाली, बाँहों का झूला है,आँचल … Read more

धर्मपत्नी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं नारी ही धर्मपत्नी हूँ, मैं प्रियतम की संगिनी हूँ मैं साजन का प्यार हूँ, मैं ही घर-परिवार हूँl मैं सावन की फुहार हूँ, मैं ही बासंती बयार हूँ मैं दुल्हन बनकर आती हूँ, मैं दो कुल को महकाती हूँl मैं बाबुल को छोड़ आती हूँ, मैं माँ का आँगन … Read more

ज़िन्दगी का सवाल

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* उम्र के एक पड़ाव पर, ज़िन्दगी ने ज़िन्दगी से पूछा- क्या किया उम्रभर ? ज़िम्मेदारियों के बोझ तले, दब कर रह गया बस तेरा अस्तित्व। कभी समय ही नहीं मिला, ख़ुद के बारे में सोचने का। दुनिया के रेगिस्तान में, न जाने कब उम्र की मुट्ठी से फ़िसल गयी ज़िन्दगी … Read more

नया दल

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** चुनाव,चुनाव,चुनाव का मचा सब ओर शोर है, रैलियों की भरमार भाषण का जोर है। दल-बदल के समीकरण, बदल रहे जोरों से स्वार्थ संलगता पहुँची, विश्वास के घेरों में। जब सालों-साल रहकर, साथ पल में छूट जाए ऐसे संबंधों पर ये भरोसा जताते हैं, बात कुर्सी की हो तो गधे … Read more

कवि हूँ

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* कभी हँसता हूंँ, कभी रूलाता हूँ जो गम आता है, सब भुला जाता हूँ। वही गुनगुनाता हूँ, फिर भी क्या करूँ दर्द में हँसी है, यही बात बताता हूँ। भाई साहब! मैं कवि हूँ…॥ अपने विचारों को, व्यक्त करता हूँ दु:ख हो या सुख हो, विधा में प्रस्तुत करता हूँ। बस … Read more

नित अश्क बन नवगीत स्वर हूँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अल्फ़ाज बनकर हर खुशी अवसाद का आभास हूँ मैं, अश्क हूँ या नीर समझ स्नेह का अहसास हूँ मैं। विरह हो या प्रिय मिलन, हो सफल या अनुत्तीर्ण क्षण माता-पिता अवसान हो, या अंत हो कोई आप्तजन छलकता नित अम्बु बन, चक्षु विरत बस कपोल पर अबाध,अविरल,निष्पंद, प्रश्न … Read more

घर में आई नन्हीं परी

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ मेरे घर आई एक,नन्हीं-सी परी, साथ ही खुशियां भी लाई,वो घर में अनेकl मेरे घर आई एक,नन्हीं-सी परीll दादा-दादी की,वो लाड़ली है, नाना-नानी की भी,वो दुलारी हैl मम्मी-पापा की,तो वो जान है, हल्का-सा हँसकर वो,सबको हँसाती हैl मेरे घर आई एक,नन्हीं-सी परी, साथ ही खुशियां भी लाई,वो घर में अनेकll बुआ … Read more

क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए!

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** एकमात्र शाश्वत सत्य यही, शिव के त्रिनेत्र का रहस्य यही चंडी का नैसर्गिक रौद्र नृत्य यही, कृष्णा-सा श्यामला,राधा-सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा-सा इसका भी विषपान किया जाए॥ ये अनादि है,ये अनंत है, ये गजानन का त्रिशूली दंत है यही है गोचर,यही अगोचर, यही तीनों लोकों का महंत है। … Read more

गद्दारों की बोली

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** निकल पड़ी फिर से जयचंदों की टोली है, सुनो इनकी कैसी ये देशविरोधी बोली है। पाक की मेहबूबा रोई,अब्दुल्ला भन्नाया है, आतंकी आका को अपना दर्द सुनाया है। घर में रह के जो दुश्मन की ख़ातिर रोता है, ऐसे नमकहरामों का कहाँ जमीर होता है। सुनो दिल्ली वालों! तुमने … Read more