हर रंग से है प्यार…

कृणाल प्रियंकर अहमदाबाद(गुजरात) ****************************************************** कितनी रंगों भरी है हमारी दुनिया, हर रंग की कुछ अलग है बात। कोई भर दे खुशियों से हमारा जहां, तो कोई कराता अकेलेपन का एहसास। लाल रंग लाता प्यार का संदेशा, पर वही देता खतरे का भी संदेशा। सफ़ेद रंग जो है शांति का, वही प्रतीक भी है मायूसी का। … Read more

नारी कमजोर नहीं

संध्या चतुर्वेदी ‘काव्य संध्या’ अहमदाबाद(गुजरात)  ****************************************************************** आज की नारी इतनी कमजोर नहीं,जो झुक जायेगी, करो चाहे पुरजोर जतन तुम,नहीं वो रुक पायेगी। दिल की सुंदरता कब भला,तेजाब से खत्म हो पायेगी, शक्ति रूप है नारी,नहीं मोम जो पिघल जायेगी। बंद करो तुम अब जिस्म का व्यापार चलाना, नारी कोई वस्तु नहीं जो बाजार में बिक … Read more

प्रीत का उत्सव होली

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** होली उत्सव प्रीत का, मचा रंग का हाट हर दिन फागुन प्रीत के, नवल पढ़ाये पाठ। नयनों ही नयनों हुए, रंगों के संकेत रह-रह महके रातभर, केशर कस्तूरी के खेत। प्रीत महावर की तरह, इसके अलग हैं रंग बतियाती पायल हँसे, हँसे ऐड़ियाँ संग। रंगमयी आईने, बिसरे सभी गुमान जो … Read more

जैसा मैं सोचता हूँ

सतीश विश्वकर्मा ‘आनंद’ छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** शब्द मैंने लिखे जो अमर हो गए। कुछ तो ऐसे लिखे कि समर हो गए। बारहा वो सितम मुझपे करता रहा, मैंने हमले किये जो कहर हो गए…। हमने ज़मज़म समझकर जिसे पी लिया, ज़िन्दगी के वो प्याले ज़हर हो गए…। तेरी आगोश में खुद को बेखुद किया, सारी … Read more

नारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १,७,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य) बताओ कौन है ऐसा,मही नारी न हो जाया। सिखा ईमान भी इनको,सखे बेबात भरमाया। करें हम मान नारी का,सदा इंसान कहलाएँ, इबादत हो अमानत की,यही संसार में माया। करें सम्मान जननी का,विरासत ये चलाती है। सभी दु:ख … Read more

मैं हूँ नारी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं ही तो वह नारी हूँ, जो सिंदूर देशहित वारी हूँ। बेटे के माथे तिलक लगा, सीमा पर मैं विदा कराती हूँ। जब ओढ़ कफन तिरंगा आता, अश्रु आँचल में छुपाती हूँ। मैं शेरनी महतारी हूँ, हाँ मैं वही नारी हूँ…॥ मैं रिद्धि हूँ,मैं सिद्धी हूँ, मैं ही तो मात … Read more

ये कैसी मोहब्बत

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ जबसे मिली है नजरें, बेहाल हो रहा हूँ। तुमसे मोहब्बत करने, कब से तड़प रहा हूँ॥ कोई तो हमें बताये, कहाँ वो चले गए हैं। रातों की नींद चुराकर, खुद चैन से सो रहे हैं॥ ये कमबख्त मोहब्बत, क्या-क्या हमें दिखाए। खुद चैन से रहे वो, हमें क्यों रोज रुलाये॥ करना … Read more

आओ हम वंदन करें वीर शहीद जवानों को

डॉ.जयभारती चन्द्राकर भारती गरियाबंद (छत्तीसगढ़) *************************************************************************** आओ हम वंदन करें,वीर शहीद जवानों का, भारत की माटी चंदन,शीश धरो इस माटी का। आओ हम वंदन… जुनून हृदय में लिए,देश की रक्षा करें, देश पर निछावर हो,धर्म-कर्म स्वाभिमान लिए। चाहे जीना,चाहे मरना,देश की खातिर हैं मिटना, आओ हम वंदन करें… नील गगन में लहराता तिरंगा,मधुर मुसकान लिए, तिरंगे … Read more

कवि होना इतना आसान नहीं

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* आदमी का कवि होना इतना आसान नहीं होता कभी नहीं होती जमीं,कभी आसमां नहीं होता, ठहाके लगते हैं तुम्हारे,उसकी कही बातों पर लिखने में वह कितने आँसू बहा चुका होता है। लगा जाते हैं जो शब्द तुम्हारे जख़मों पर मरहम भरते हैं खुशियां और मिटाते हैं तुम्हारे सारे गम, उड़ान … Read more

असली सौन्दर्य

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** जब यह तन अचल होता है, तभी मन का भ्रम मिटता है। वह चमक-दमक वह चिकनी चमड़ी, सिकुड़ फूलकर बेढंग दिखता हैll सारे लेप इत्र की खुशबू, पल-पल तन से दूर हटता है। तब चूमने वाला होंठ भी, उल्टी पर उल्टी करता हैll सत्य समझ आता है उसी … Read more