संस्कारों का प्रतिबिम्ब हिंदी

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हम सब बचपन में शाला जाना शुरू करते हैं और ज्ञान की प्राप्ति करते हैं। शाला में हम कहीं विषय की पढ़ाई करते हैं,जिनमें हिंदी विषय भी एक है,लेकिन दुःख की बात यह है कि आज भी हम हिंदी का इस्तेमाल करने पर शर्म महसूस करते हैं। … Read more

बैंकिंग व अन्य वित्तीय संस्थानों में हिंदी का महत्व

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ झज्जर(हरियाणा) *********************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. वित्तीय व्यवसाय सामान्यजन से जुड़ा है। पिछले २ दशक में बैंकिंग व अन्य वित्तीय संस्थानों का स्वरूप काफी बदल गया है। घंटों-घंटों कतार में खड़े रहने वाला,थका देने वाला माहौल आज कितना आसान हो गया हैl नई तकनीक के प्रचार व प्रसार,उसकी महत्ता,गुण,उपयोगिता ने आज मानव … Read more

हिन्दी है जन-जन की भाषा

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** महात्मा गांधी ने कहा था “हृदय की कोई भाषा नहीं है। हृदय से हृदय बातचीत करता है,और हिंदी ह्रदय की भाषा है।” हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी,ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को १४ सितम्बर १८४९ को लिया गया था। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित-प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा … Read more

हिन्दी के प्रचार और विस्तार में सोशल मीडिया की भूमिका

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हिंदी आज एक ऐसी भाषा है,जो दुनिया में इतने बड़े स्तर पर बोली व समझी जाती है। मीडिया ने हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुनियाभर में आज भारतीय फिल्में व टेलीविजन कार्यक्रम देखे जाते हैं। इससे भी दुनिया में हिंदी का प्रचार-प्रसार हुआ … Read more

हम कैसे मनाएं ‘हिंदी दिवस’

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हर १४ सितम्बर को देश में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। ज़रा हम पता तो करें कि सवा अरब के इस देश में कितने लोगों को मालूम है कि १४ सितम्बर को हिंदी दिवस होता है। आम आदमी का उससे कोई लेना-देना नहीं होता। सरकारी दफ्तरों में भी वह वार्षिक … Read more

हिन्दी हमारी भाषा है,इस पर अभिमान करें

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. भाषा किसी भी राष्ट्र की सामाजिक एवं सांस्कृतिक धरोहर की संवाहिका होती है और भाषायी एकता से ही राष्ट्र की अखण्डता सुदृढ़ होती है। कोई भी देश अपनी स्वयं की भाषा के बिना अपने राष्ट्रीय व्यक्तित्व को मौलिक रूप से परिभाषित नहीं कर सकता। भारत की … Read more

भारत की आत्मा है हिन्दी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) ************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. मानव शरीर की रचना अनेक तंत्र-तंत्रिकाओं, मांस-पेशियों तथा पांच आंतरिक ज्ञानेन्द्रियों एवं पांच बाहरी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा हुई है,लेकिन इसकी सुन्दरता तब तक है,जब तक इसमें आत्मा का संचालन हैl प्राणविहीन प्राणी का जीवन निष्क्रिय है,क्योंकि उसका अस्तित्व मिट चुका है। अस्तित्व का जीवंत संबंध प्राण से है। … Read more

`चंद्रयान-२` की आंशिक सफलता और हमारी अवैज्ञानिक मानसिकता…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** भारत का मिशन चंद्रयान-२ कितना सफल रहा और कितना असफल,यह अभी ठीक से तय होना है,लेकिन इस पर हम किसी वैज्ञानिक और ठोस निष्कर्ष पर पहुंचें,उसके पहले ही देश में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं,उससे यही साबित हो रहा है कि, इसरो की उपलब्धि जो भी हो,हम … Read more

हिंदी के राष्ट्रभाषा बनने की बुनियाद कमज़ोर है क्या ?

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. सौ बरस से अधिक समय हो गया हिंदी को राष्ट्रभाषा का अधिकार मिले,पर आज भी हिंदी सिर्फ हिंदी मानने वालों के कारण बची हैl महात्मा गाँधी ने १९१८ में अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि-“हिंदी को राष्ट्रभाषा का अधिकारी घोषित करना और दक्षिण भारत में हिंदी … Read more

विडम्बना:गहन संघर्ष करना पड़ रहा भारतीय भाषाओं के लिए

प्रो.जोगा सिंह विर्क पटियाला(पंजाब) *************************************************************** भारतीय भाषाओं की साझा चुनौतियाँ व समाधान परिसंवाद…….. यह अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि स्वतंत्रता के ७२ वर्ष बाद भी भारतीय भाषा-भाषियों को भारतीय भाषाओं के लिए गहन संघर्ष करना पड़ रहा हैl इस किसी भी भाषा का जीवन इस बात पर निर्भर है कि उसका सभी मातृ-भाषा कार्य-क्षेत्रों … Read more