`कोरोना` और आज का `युगधर्म`

राकेश सैन जालंधर(पंजाब) ***************************************************************** न जाने किसने ‘धर्म’ का भाषांतरण ‘रिलीजन’ कर दिया कि,शताब्दियों से दुनिया उसी गलती को दोहराती आ रही है। धर्म एक विस्तृत अर्थपूर्ण शब्द है,जबकि रिलीजन अर्थात संप्रदाय की सीमा किसी ग्रंथ या महापुरुष के विचारों या सिद्धांतों के पालन तक सीमित है। भारतीय वांगमय में धर्म का अर्थ है कर्तव्यपालन। … Read more

थू है..

अजय जैन ‘विकल्प’ इंदौर(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** मसला यह नहीं है कि,चीन के हथियार ‘कोरोना’ ने बाकी देशों का कितना नुकसान किया,मुद्दा यह है कि देश बड़ा होता है या धर्म बनाम जिद ? इसे सभी का पुण्य कहिए कि अभी भारत में कोरोना विषाणु अपने वीभत्स रुप में नहीं आया है,क्योंकि सभी राज्य सरकारें केन्द्र के … Read more

घातक ‘कोरोना’:सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** चीन की वुहान-भूमि से उपजा ‘नॉवेल कोरोना’ विषाणु आज दुनिया के लिए मृत्यु का पर्याय बन गया है। वुहान शहर मृतप्राय पड़ा है। स्पेन,इटली और अमेरिका तड़पकर गिरते शवों की अन्त्येष्टि नहीं कर पा रहे हैं। पाकिस्तान,अफगानिस्तान,बर्मा जैसे लडखड़ाते देश गौरतलब नहीं रहे। भारत इक्कीस दिनों की घोषित ‘तालाबंदी’ एवं … Read more

पानी है अनमोल

अरशद रसूल, बदायूं (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* पर्यावरण को बचाना जीवन बचाने के बराबर है। इस जीवन के लिए जल संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। जल संरक्षण को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेशविधानसभा अध्यक्ष के आदेश के अनुपालन में एक आदेश जारी किया गया था। इसके तहत सरकारी कार्यालयों में आने वाले लोगों को आधा गिलास … Read more

भारत जीतेगा ही `कोरोना` युद्ध

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** `जनता-कर्फ्यू` की सफलता अभूतपूर्व और एतिहासिक रही है। पिछले ६०-७० साल में कई भारत बंद देखे हैं,लेकिन ऐसा भारतबंद पहले कभी नहीं देखा। इस पहल का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो है ही,इस जनता-कर्फ्यू ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि श्री मोदी से बड़ा प्रचार मंत्री पूरी … Read more

भारतीयता अपनाएं, ‘कोरोना’ भगाएं

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** ‘कोरोना’ से बचाव के लिए पूरी दुनिया आज ताली बजाकर जागरण कर रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी २२ मार्च को ताली बजाकर सन्देश देने का आह्वान किया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट पर कई लोग कह रहे हैं कि,श्री मोदी का यह विचार(तरकीब)पश्चिमी देशों की नकल है। शायद … Read more

खुशी में खुशी देखिए

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** हर कोई खुश रहना चाहता है,पर कुछ अपनी खुशी में ही खुश रहना चाहते हैंl दूसरे की खुशी उन्हें उदास कर देती है,कई बार तो हताश कर देती है,करोड़पति-साधन संपन्न लोग अपनी चैन की नींद ही खो बैठते हैंl एकाएक इसी एहसास में खो जाते हैं कि,मेरे पास तो उसके … Read more

बच्चों में बढ़ती संस्कारहीनता,रोकना होगा

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारी इसी पीढ़ी पर देश का भविष्य टिका हुआ है। इस भावी पीढ़ी को संस्कारित करके ही अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है,लेकिन आज के परिवेश में हम देखें तो माँ-बाप बच्चों को संस्कारित करने में जागरूक नहीं हैं। वर्तमान में संयुक्त परिवारों के … Read more

दुष्ट प्रवृत्ति व शोषण का शिकार बनती महिलाएँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** पूरा भारत जहाँ एक ओर नारी सम्मान की बात करता है,वहीं जहाँ मौका मिलता है दमन करने से नहीं चूकता। एक ओर कन्या दिव्य रूप मानकर पूजी जाती है,तो दूसरी ओर भ्रूण हत्या,बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का शिकार हो रही है। हमारे भारत में हर वर्ग में नारी … Read more

स्त्री-पुरुष का भेदभाव नहीं होना चाहिए

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** आज भी पत्रकारिता तो क्या,सभी क्षेत्रों में क्या हम महिलाओं को समुचित अनुपात में देख पाते हैं ? ‘समुचित’ अनुपात शब्द का प्रयोग किया है,‘उचित’ अनुपात का नहीं। उचित का अर्थ तो यह भी लगाया जा सकता है कि दुनिया में जितने भी काम-धंधे हैं,उन सबमें ५० प्रतिशत संख्या महिलाओं … Read more