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हार्ट अटैक

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष………

राजू और ममता जल्दी-जल्दी तैयार होकर स्कूल गए। जाएं क्यों नहीं,आज आखरी दिन था। बड़े दिन की छुट्टियां जो मिलने वाली थी। इस बार मम्मी-पापा के साथ बच्चों ने बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया था।
छुट्टी होते ही बच्चे घर आकर माँ से लिपट गये,जैसे सारी उम्र का प्यार अभी कर लेंगे।
एकसाथ भाई-बहन ने बोलना शुरू किया-हमारे कपड़े,हमारा समान,सब दिखाओ। क्या-क्या रखा है ?
माँ भी बहुत खुश थी,बच्चों की खुशियों को देख निहाल हो रही थी। कुछ नाश्ते वगैरह की व्यवस्था में सुबह से वो लगी थी।
खाना वगैरह खाने के बाद बच्चे अपने होमवर्क में जुट गए,ताकि लौटने पर आराम रहे और भी कई काम। ये माँ के सहयोग में लिपट गए। पूरी तैयारी हो गई। घर की घंटी बजते ही बच्चों ने दौड़कर दरवाजा खोला,पर पापा का चेहरा देखते ही दोनों बच्चों का चेहरा उतर गया। इतनी शांति कैसे..? माँ भी किचन से आ गई ।
पापा का चेहरा देखकर सभी ने एक ही सवाल किया-‘क्या हुआ पापा ?’
पापा ने बच्चों को चिपका लिया और कहा-‘मुझे माफ़ कर दो बच्चों। मैं दो साल से कोशिश कर रहा हूँ,पर कहीं लेकर नहीं जा पा रहा हूँ। आफिस में तुम्हारे चाचा जी का फोन आया था दादाजी को हार्ट अटैक आया है। अभी शहर लाने तक की कोई दवा दी हैं। वो लोग दादाजी को हमारे पास शहर ला रहे हैं उनके इलाज के लिए।’
बच्चों ने पापा का चेहरा देखा और तुरंत बोले-‘इसमें आप परेशान क्यों हो रहे हैं ? ये तो अच्छी बात है ना,कि हम सब यहीं पर थे। गये नहीं थे,अगर चले जाते तो क्या होता ? दादा जी हमारी जान है। जैसे आप हमारे पापा हो,वैसे ही दादाजी आपके पापा हैं। ये तो अच्छा है। इस बार बड़े दिन की छुट्टियों में हम सब मिलकर दादाजी की खूब सेवा करेंगे,तो वो अच्छे हो जाएंगे। फिर हम सब साथ में चलेंगे। आप परेशान मत होइए।’
बच्चों की बातें सुनकर मम्मी-पापा भाव विभोर हो गये और एक-दूसरे को देखते रहे…मानों एक-दूसरे को धन्यवाद दे रहे हों।

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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