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जिंदादिली से खेलते ही जाइए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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ज़िन्दगी इक खेल है बिल्कुल नहीं घबराइए,
बस इसे जिंदादिली से खेलते ही जाइए।

है हमारी खुशनसीबी मनुज तन हमको मिला,
ईश का इसके लिए आभार करते जाइए।

बाँटनी है हर खुशी डर छोड़कर माहौल का,
मार वो सकता नहीं इतना समझते जाइए।

भूल जाओ ये ‘कोरोना’ है महामारी नहीं,
जो बताया बस वही उपचार करते जाइए।

मौत का क्या है उसे आना है वो तो आयेगी,
कौन कहता है अभी से आप डरते जाइए ?

मानसिक रोगी न बनिये छोड़िए ये बुजदिली,
दौर ही ऐसा है इससे बस गुजरते जाइए।

एक दिन ऐसा उगेगा कोरोना मर जाएगा,
बस नये सूरज की किरणों से निखरते जाइए॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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