चुनौतियों से निखरता है व्यक्तित्व

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* चुनौतियों की पवित्रता का रसपान धरा पर बिरले ही करते हैं,क्योंकि कायरों को चुनौती शब्द ही दिन को तारे दिखा देता है,जबकि महारथियों, ज्ञानियों,विद्वानों,मुनियों,आलोचकों,साहित्यकारों, शूरवीरों,महावीरों और कर्मवीरों के लिए चुनौती अमृत समान है,जिसे पीने के लिए वह हमेशा लालायित रहते हैं। चूंकि,वह जानते हैं कि कुम्हार द्वारा … Read more

कोरोना:गरीबों,मजदूरों व किसानों का योगदान अनमोल

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* `करेला और ऊपर से नींम चढ़ा` वाली कहावत “कोरोना` की जंग में गरीब मजदूरों का योगदान क्या है ?”,पर पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। उक्त प्रश्न में ‘गरीब’ और ‘मजदूर’ शब्द का प्रयोग एकसाथ किया गया है,जबकि यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक गरीब,मजदूर हो और … Read more

रो रहा है आसमां

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रो रही धरती अभी,रो रहा है आसमां, जल रहा सारा जगत,बुझती हर इक शमा। मौत का मंज़र यहाँ,ख़ौफ़ में सारा जहाँ, साँस सबकी थम रही,बढ़ रही धड़कन यहाँ। कैद घर में आदमी,मिल रही कैसी सजा ? बोल ईश्वर कह खुदा,क्या अभी तेरी रजा ? रोज़ बढ़ता आँकड़ा,मर रहा हर … Read more

`कोरोना`: जीवन शैली बदलने का संकेत,समय भी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* बदलाव प्रकृति का नियम है और जीवन का आधार प्रकृति है। इसलिए `कोरोना` हो या कोई भी अन्य विकट वैश्विक चुनौती,जीवन-शैली बदलने की अति आवश्यकता होती है। चूंकि,प्रकृति जीवन जननी है और प्रत्येक जीव-जन्तु प्रकृति की कोख से उत्पन्न हुआ है,जिसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथ एवं विद्वानों सहित … Read more

मानव को प्राकृतिक संदेश ‘कोरोना’

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. बदलाव प्रकृति का नियम है और जीवन का आधार प्रकृति है। इसलिए ‘कोरोना’ हो या कोरोना जैसी कोई भी अन्य विकट वैश्विक चुनौती,जीवन-शैली बदलने की अति आवश्यकता होती है। चूंकि,प्रकृति जीवन जननी है और प्रत्येक जीव-जन्तु प्रकृति की कोख से उत्पन्न हुआ … Read more

भारतीयता अपनाएं, ‘कोरोना’ भगाएं

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** ‘कोरोना’ से बचाव के लिए पूरी दुनिया आज ताली बजाकर जागरण कर रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी २२ मार्च को ताली बजाकर सन्देश देने का आह्वान किया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट पर कई लोग कह रहे हैं कि,श्री मोदी का यह विचार(तरकीब)पश्चिमी देशों की नकल है। शायद … Read more

अब ‘मित्र’ शब्द की पवित्रता भूले

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* ‘मित्र’ वह जो विपत्ति में काम आए, अर्थात मुसीबत,कष्ट,आपदा,मुश्किल,संकट जैसे क्षणों मे सहभागी बने,सहयोग करे,वह मित्र कहलाता है। दूसरी ओर जो विपत्ति, मुसीबत,कष्ट,आपदा,संकट इत्यादि का कारण बने और असहयोग करे,वह शत्रु से भी धूर्त माना जाता हैl यूँ कहें कि जिसके ऐसे मित्र हों,उन्हें शत्रुओं की आवश्यकता … Read more

आशावादी होना सबसे बड़ी ताकत

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* नि:संदेह आशावादी होना जीवन की सबसे बड़ी ताकत है,क्योंकि जब सब ओर से जीवन की नाव डूब रही हो,तब आशा की एक किरण भी जीवन को बचा लेती है। तभी ‘डूबते को तिनके का सहारा’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक मान्यता है कि आशा … Read more

संवैधानिक देशप्रेम ही श्रेष्ठ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* राष्ट्र सर्वोपरी है,जिसकी आन,बान व शान के लिऐ देश का प्रत्येक देशवासी हर समय हर प्रकार का त्याग व बलिदान करने पर गौरव अनुभव करता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है और अधिकार भी है। सर्वविदित है कि भावना से कर्त्तव्य हमेशा ऊँचा होता … Read more

‘क्रोधी’ के व्यवहार को ‘मूर्खता’ कहना अनुचित

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* क्रोधी व्यक्ति का व्यवहार मूर्खतापूर्ण होता है,उक्त मानसिक अवधारणा आवश्यक नहीं है। चूंकि,क्रोध विरोधाभास का एक लक्षण मात्र है,जिसे मूर्खता का शब्द देकर सभ्य समाज उक्त क्रोधी जीव के प्रति सकारात्मकता के स्थान पर नकारात्मक हो जाता है। क्रोधी को यदि मूर्खता अर्थात पागलपन का शब्द दे … Read more