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संवैधानिक देशप्रेम ही श्रेष्ठ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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राष्ट्र सर्वोपरी है,जिसकी आन,बान व शान के लिऐ देश का प्रत्येक देशवासी हर समय हर प्रकार का त्याग व बलिदान करने पर गौरव अनुभव करता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है और अधिकार भी है।
सर्वविदित है कि भावना से कर्त्तव्य हमेशा ऊँचा होता है,इसलिए किसी भी देश के सभ्य व स्वस्थ समाज के लिए भावनात्मक देशप्रेम से संवैधानिक देशप्रेम कहीं ऊंचा एवं श्रेष्ठ होता है।
यूँ तो युगों-युगों से प्रेम को पूजा का स्थान दिया गया है,और देशप्रेम को सर्वश्रेष्ठ व पूज्य माना गया है,यानी भले ही कर्त्तव्य ऊंचा है, किन्तु भावना का भी महत्व कम नहीं आँका जाता। जैसे कर्त्तव्य यदि पेड़ है,तो भावना उसकी जड़ है,जिसके बिना पौधा फल-फूल नहीं सकता। अत:,संवैधानिक देशप्रेम का कर्त्तव्य निभाने के लिए भावनात्मक देशप्रेम अति आवश्यक होता है।
‘संविधान’ शब्द सुनते ही आदर व सत्कार की भावना स्वयं ही उत्पन्न हो जाती है,क्योंकि देश की खुशहाली,समृद्धि,विकास, शांति,न्याय,सुरक्षा व्यवस्था इत्यादि संविधान पर निर्भर है। इसके ४ सशक्त स्तम्भ हैं-प्रथम विधायका,द्वितीय कार्यपालिका,तृतीय न्याय पालिका एवं चौथा पत्रकारिता है। यही वह स्तम्भ हैं,जिन पर सम्पूर्ण देश टिका हुआ है। यदि इन स्तम्भों में से एक भी दुर्बल हो जाए तो देश विकलांग हो जाता है। दूसरा हो जाए तो देश बीमार हो जाता है। तीसरा हो जाए तो देश में उपद्रव शुरू हो जाते हैं तथा चारों स्तम्भ धराशाई हो जाएं तो देश मृत्युशैया पर आसीन हो जाता है,जो अति दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण होता है।
इतिहास साक्षी है कि घर की कलह ने देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया था। हमारे ग्रंथ भी घर के भेदी द्वारा लंका ढहने का संदेश देते हैं। अत:,बाहरी दुश्मनों से घर के भेदी कहीं ज्यादा घातक होते हैं,जिन्हें ना तो भावनात्मक देशप्रेम है और ना ही संवैधानिक देशप्रेम है। उन भेड़ियों को यदि प्रेम है तो वह मात्र भ्रष्टाचार-प्रेम है,जिसमें अधिकांश उच्च स्तरीय अधिकारी,सांसद आदि संलिप्त हैं। इस भ्रष्टाचार ने देश को बुरी तरह खोखला कर दिया है। इस पर अभी भी अंकुश ना लगाया गया तो देश व देशवासियों को बड़े संकटों व दूरगामी दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए,हमें भ्रष्टाचार रूपी राक्षसों को मारना होगा,मिटाना होगा।

परिचय-इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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