हिन्दी और उसकी बोलियाँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** १४ सितम्बर १९४९ को हिन्दी को भारतीय गणतंत्र की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। अंग्रेजी को पन्द्रह वर्षों अर्थात् १९६५ तक सह राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। दक्षिण में हिन्दी के विरोध को देखते हुए १९६७ में संविधान में संशोधन किया गया कि जब तक एक … Read more

मेरी कविता गीता बन जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मेरे नयनों का कोना आषाढ बनेगा, मेरा हर आँसू भीषण बाढ़ बनेगा उस दिन शोषण का मलबा बह जाएगा, आह से अन्याय आवरण दह जाएगा। रोया नहीं मैं अब तक कितनी घातों में, सोया नहीं मैं अब तक कितनी रातों में करुणा तप्त जल तड़पती एक मीन हूँ, अंतरवेदना … Read more

जीवन को जीतना है

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** क्या हुआ जो घरों में बंद हैं, होगा आगे आनंद ही आनंद है। अभी इक्कीस दिन सब्र के साथ रहो घर के अंदर, नहीं तो महाप्रलय का आएगा समंदर। बाहर घूमने वालों कुछ दिन खा लो दाल-रोटी, भीड़ लगाने वालों संभलो, वरना ‘कोरोना’ नोच लेगा तुम्हारी बोटी-बोटी। यह वक्त जिंदगी और … Read more

व्यथित प्रकृति

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. मैं प्रकृति,माता भी हूँ तुम्हारी, स्नेह,ममता के विगलित धारा से- सम्पदाओं से पूर्ण यह सुंदर विश्व, उपहार दिया है तुझे,प्यार से। दर्शन मेरा तुम पाओगे सिर्फ, अनुभूति की माया से स्पर्श मेरे हल्के छूने से, आमेज़ भरी भावना में। शीत ग्रीष्म से होकर कातर, … Read more

कुदरत की ओर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. हरपल ही आपाधापी में भाग रहा है जीवन, इससे तन है चुका-चुका-सा थका-थका रहता मन। दो पल भी अब समय रहा ना करने को मिल बातें, भाग दौड़ में दिवस बीतते चिन्ता में घुल रातें। काम-कमाई के चक्कर में भूल गए अपनों को, नहीं समय … Read more

`कोरोना` के जिम्मेदार

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** “अरे! दूर से सब्जी थैले में डाल। तुझे मालूम नहीं है क्या ? `कोरोना` यहाँ-वहाँ पूरे भारत में फैल रहा है। यह तुम लोगों जैसे गरीब अनपढ़ लोगों से फैल रहा है। तुम जैसे गँवार लोग पता नहीं कब समझोगे ?” मिसेज वर्मा ने सब्जी वाले को हिकारत भरी नजरों से … Read more

बच्चों में बढ़ती संस्कारहीनता,रोकना होगा

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारी इसी पीढ़ी पर देश का भविष्य टिका हुआ है। इस भावी पीढ़ी को संस्कारित करके ही अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है,लेकिन आज के परिवेश में हम देखें तो माँ-बाप बच्चों को संस्कारित करने में जागरूक नहीं हैं। वर्तमान में संयुक्त परिवारों के … Read more

सभ्यता और संस्कृति पर आघात महिलाओं के प्रति अपराध

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,रमन्ते तत्र देवता’ का उदघोष करने वाला हमारा देश आज महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के कारण लज्जित है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में बलात्कार और छेड़छाड़ की बर्बर घटनाएँ आए-दिन घटित हो रही हैं। घर हो या बाहर,महिलाएँ कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। घर और समाज में … Read more

बढ़ती बेरोजगारी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** भारत एक जनसंख्या बहुल देश है। बढ़ती जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध कराना आज विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या नीति और देश के अनुरूप औद्योगिक नीति के अभाव ने बेरोजगारी की समस्या को भयावह बना दिया है। सरकारी क्षेत्र की किसी भी भर्ती की घोषणा होने पर भारी संख्या में … Read more

राष्ट्रवाद:विश्व-बन्धुता की ओर कदम बढ़ना चाहिए

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना उसके अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। समाज का स्वरूप परिवार से लेकर पड़ौस,गाँव,शहर,राज्य,देश और दुनिया तक विस्तृत हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जन्मस्थान,अपनी गली,गाँव,शहर और देश से लगाव होता है। इसी लगाव के कारण आदमी अपने … Read more