सौहार्द बनाम मानवतावादी ऊँची सोच

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. ‘धर्मों रक्षति रक्षति:,तयो धर्मस्ततो जय:।’ अर्थात् राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।‘जो भरा नहीं है भावों से,बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है,जिसमें ‘स्वदेश’ से प्यार नहीं।’ स्वतंत्रता प्राप्ति के २९ वर्ष के बाद १९७६ में भारतीय संविधान के ४२वें संशोधन … Read more

घर-परिवार:ज़रूरत बदले हुए नज़रिए की

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ‘ज़िंदगी मेरे घर आना,आना ज़िंदगी,मेरे घर का सीधा-सा इतना पता है,मेरे घर के आगे मुहब्बत लिखा है,न दस्तक ज़रूरी,ना आवाज देना,मैं साँसों की रफ़्तार से जान लूँगी,हवाओं की खुशबू से पहचान लूँगी।…’कहने का तात्पर्य है-‘जो सुख छज्जू के चौबारे, ओ बल्ख न बुखारे’ इस उक्ति का अर्थ है … Read more

परम्परा…

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* दीवाली के दिन,मेरे घर मेंशाम को पकवान कुछ भी बने,देशी सूरन की सब्जी जरूर बनती हैlसोने से पहले,माँ आँखों में काजल लगा देती हैकहते हैं कि-ऐसा न करने सेमनुष्य को छछून्दर का जन्म मिलता हैlअब मेरे गाँव में,छछून्दर नहीं दिखतीजबकि,काजल लगाने की परम्परा…खत्म-सी होती जा रही हैll परिचय-दीपक शर्मा का … Read more

तेरहवीं का विहान

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* कल मेरे पड़ोसीगंगू चाचा के पिताजी की तेरहवीं थी,ब्रम्ह भोज में भीड़ खूब जुटी थीपहले ब्राम्हणों ने भोग लगाया,दक्षिणा ग्रहण कीफिर देर तक चलता रहा भोज,गाँव के खड़ंजे परसाइकिल,मोटर साइकिल,पैदलकार,स्कार्पियो के आने-जाने से चहल-पहल थीखद्दरधारी,काले कोट,सायरन,व नीली बत्ती वालों के लिएविशेष व्यवस्था थी,अंत में-‘उत्तीर्ण’ कहने के बाद,सबने कहा-`मृतक की आत्मा … Read more

किसी ने नहीं समझा पाप…

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* इन्द्र देवता हैं ?नहीं!मर गया थाउनका उसी दिन देवत्व,जिस दिनअवैध रूप से किया था उन्होंनेअहिल्या के घर में प्रवेश,किया था उनके साथ दुराचार।उनका वह कर्म,छल,कपट व एक स्त्री की इच्छा के विरुद्ध थाकिंतु वे स्वर्ग के राजा थे,इसीलिए स्वर्ग की कामना करने वाले लोगऋषि,मुनि,गंधर्व,देवता,पंडित,पुरोहित,किसी ने नहीं किया इन्द्र से सवाल…।किसी … Read more

पहुँच जाने दो हमें गाँव

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* हम सड़कों पर सैर करने नहीं निकले हैं साहब, हम गाँव जाना चाहते हैं मेरी पत्नी के पेट में, बहुत दर्द है उसे थोड़ा विश्राम चाहिए। मेरा शिशु भूखा है बहुत, उसकी माँ के स्तन में दूध नहीं बचा है, चलते-चलते मांसपेशियां छिल गयी है। पड़ गए हैं पैरों में … Read more

ये फुटपाथ के बच्चे

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* आजकल जब ट्रेन बंद है, यात्री नहीं आ रहे स्टेशन खाली है, तब सोचता हूँ… वे फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे कहाँ होंगे इस समय! जिनके माँ-बाप ने वर्षों पहले, उन्हें भेज दिया था शहर कहकर कि कह देना कि मेरे माँ-बाप नहीं हैं अब। उनके मालिक के चांटे, प्रशासन … Read more

आधी मजदूरी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* सुबह-सुबह मालिक आया और कारखाने में अपने निजी नौकर के साथ घूम-घूमकर कह गया,-“आज दिन तुम्हारा है,समय से स्नान कर लो,कपड़े भी ठीक-ठाक पहन लो।” सारे मजदूर खुश थे। कार्यालय के सामने साफ-सफाई व सजावट बिखेर दी गयी। मजदूरों में बातें चल रही थी,आज बिना काम किए पूरी मजदूरी मिलेगी। … Read more

पृथ्वी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* मैं देखता हूँ जहाँ तक दिखायी देती है मुझे पृथ्वी, शांत बिल्कुल शांत, चपटी कहीं-कहीं थोड़ी उँची और गहरी। कोई मुझसे कह रहा था पृथ्वी गोल है, और घूमती है जिसे देखने के लिए मैं घर से निकल आता हूँ, वीरान खेतों में मगर,मुझे पृथ्वी वैसी ही दिखायी देती है, … Read more

न जाने इंतजार किसका है ?

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* बहुत दिनों से सुनसान है त्रिवेणी का तिराहा, जहाँ गाहे-बगाहे, अक्सर ही दिख जाते हैं एक लड़का और एक लड़की, करते हुए प्रेमालाप। उस तिरहे से गुजरने वाले लोग, घंटों करते हैं वहाँ का महिमामंडन, किसी पुलिया पर कैंटीन में, या हाॅस्टल में बैठकर, दोस्तों के साथ। त्रिवेणी का तिराहा … Read more