मजदूर

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** सर पे गठरी, कांधे पे बोझा बिन रोज़े का रोज़ा, साथ में बाल बच्चे उम्र में कच्चे, खाने के लाले जुबान पे ताले, सड़क पे जल रहे मजदूर मतवाले, जाना है घर परदेस नहीं बसर, बंद काम-काज पैसा न अनाज, कोई न सुनने वाला चेहरा हुआ काला, होंठों पे जाला … Read more

टूटी भोजन की आस…रोता बच्चा

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** बीच मझधार फंसे मजदूर, साथ में बीबी-बच्चे, भूखे-प्यासे, सर पे गठरी सूखी ठठरी, घर की आस बड़ी बाधाएं, कहां जाएं काम न काज, `कोरोना` का राज, फंसे परदेस सरकारी आदेश, जहां हैं वहीं रहें पड़े चाहे भूख से तड़पना पड़े, हुई मुनादी कल बसें चलेंगी, जान में आई जान उठाया … Read more

जन कर्फ्यू अपनाएं

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** तुम अपने घर नमाज पढ़ो, हम घर में करें आराधना। जीवन चक्र है बारह घण्टे, स्वतः मर जाएगा ‘कोरोना॥’ मोदी जन कर्फ्यू अभियान, वैज्ञानिकता का प्रमाण। आज चकित है सारा विश्व, हमें क्यों न हुआ ये ज्ञान॥ जन कर्फ्यू की वैज्ञानिकता, विषाणु वाहक न बने जनता। तोड़िए कोरोना जीवनचक्र, प्रण … Read more

परीक्षा

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** ये जीवन एक परीक्षा, सब हरि इच्छा पग-पग परीक्षाओं का दौर, हर हाल में उत्तीर्ण होने की होड़, येन-केन प्रकारेण परिणाम हो हमारा मनचाहा, करना पड़े चाहे जितने भी छल-प्रपंच, आज बना यही सफलता का मूल मंत्र, जबकि यही अनैतिक तरीके, गलत हथकंडे हैं असली हार, आइए मनन करें किसी … Read more

आज़ादी

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** हिंद की आजादी, इतनी आसान नहीं थी हर तरफ आतताइयों की यातनाएं आम थी, फिरंगियों के राज के अजब-गजब ढंग थे, आमजन हर ओर से तंग थे बांटो और राज करो यही उनका मूल मंत्र था, प्रलोभनों का दौर था भारत का जन मौन था, उभरा एक सितारा भारत माँ … Read more

जागो नारी

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** महिला सुरक्षा बिल, महिला समता अधिकार, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ यंत्र नारीषु पूज्यंते, सब की निकली हवा बलात्कार का घिनौना, क्रम बढ़ता हुआ, महिला अधिकार मानवाधिकार, की ये चलती फर्जी दुकानें बंद करो,बंद करो, महिलाओं उठो,उठो अपनी सुरक्षा के लिये, क्रांति करो पुरुष नाकारा,आवारा, दुष्कर्मी व नपुंसक है अपनी सुरक्षा … Read more

खंडित आज़ादी

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** लो आया चौदह अगस्त, भारतीय इतिहास का काला दिवस, आज ही भारत माँ को बांटा गया, उसका एक हाथ काटा गया, अखंड भारत की शहीदों की कल्पना को कर दिया चूर-चूर, कर दिया सर धड़ से अलग, विभाजन की शर्त पर सत्ता लोभियों ने स्वीकारी आजादी, फैला दी जाति भेद … Read more

एक दिन धरा पर..

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** ये चुभती धूप, ये चिलचिलाती गर्मी वस्तुतः ऋतु परिवर्तन के कारण ही है, परंतु इसकी अति, व असामयिक गति के कारक हम स्वयं हैं, प्रकृति से चल रही छेड़छाड़, अत्यधिक सुख भोग की मानव की चाह, मानव कृत प्रदूषण की भरमार, कटते वन, बढ़ती पालीथिन कारखानों जनित विषाक्त कचरा, वाहनों … Read more

सिर्फ एक दिन…? ?

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** सिर्फ आज का दिन मित्रता के नाम, कल से फिर वही शत्रुता का काम, जैसे सिर्फ महिला दिवस पर महिला सम्मान, बकाया दिन महिला अपमान, जैसे मातृ दिवस पर माँ को प्रणाम, बकाया दिन पत्नी सम्मान, आज हम कितने प्रगतिशील हो गये हैं, सिर्फ विशेष निर्दिष्ट दिवसों पर ही विशेष … Read more

आतंक

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** प्रार्थना में उठे हाथ, उड़ गये चीथड़े। दीवारों पे बिखरा रक्त, लोग इधर उधर पड़े मिले। चारों ओर सिर्फ चीखें, कौन मनाये ईस्टर। पूरा चर्च था खून से सना, कितना भयानक मंजर। एक के बाद एक, सिलसिलेवार विस्फोट। एक विशेष ही समुदाय, को पहुँचाई चोट। रोते बच्चे,बिखरी महिलाएं, अधमरे बुजुर्ग। … Read more