मजदूर
गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** सर पे गठरी, कांधे पे बोझा बिन रोज़े का रोज़ा, साथ में बाल बच्चे उम्र में कच्चे, खाने के लाले जुबान पे ताले, सड़क पे जल रहे मजदूर मतवाले, जाना है घर परदेस नहीं बसर, बंद काम-काज पैसा न अनाज, कोई न सुनने वाला चेहरा हुआ काला, होंठों पे जाला … Read more