तुझको कोटि नमन उन्नीस

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** मिला बहुत खोया तनिक, प्यारा वर्ष उनीस। करो पूर्ण हर कामना, सादर स्वागत बीस॥ तीन सौ सत्तर का कलंक तूने माथे से धोया था। काश्मीर…

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जीवन की अनमोल धरोहर

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) **************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… बड़े दिनों की छुट्टी में हम करते बहुत धमाल, जीवन की अनमोल धरोहर बचपन बहुत कमालl बस खाना-पीना…

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लानत है नेतागिरी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आहत है मेरी कलम,गद्दारों को देख। खंडन को नेता तुले,देश दुखी क्या लेखll आज बहुत तारक वतन,हैं कहँ तारकनाथ। तोड़ रहे अपने वतन,कहाँ…

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फूल की भूल

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** असल जीवन की यह कहानी ६ दिसम्बर १९५९ से सम्बद्ध है। सम्मान,अपमान और निष्कासन की एक ऐसी घटना घटी थी जिसने हर्ष-विषाद का समन्वित इतिहास…

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देश तोड़ने पर तुले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** घृणा द्वेष अफवाह फिर,गर्माया बाज़ार। अमन चैन आवाम फिर,लड़ने को तैयारll संविधान के नाम पर,वोटतंत्र का खेल। गलबहियाँ फिर स्वार्थ की,शुरु हुआ गठमेलll…

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यह कैसा है परिवर्तन

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* यह कैसा है परिवर्तन, यह कैसा जग का नर्तन जहाँ नित नारी मिटती, होता नित नारी मर्दन। कब तक शोर मचायेंगे, क्रूरता कैसे मिटायेंगे कैसे…

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दिशाहीन हो रहा हमारा लोकतंत्र

प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी दिल्ली *************************************************************************** लोकतंत्र को विश्व में मानव और मानवता की सुरक्षा का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। देश की प्रगति के लिए यह एक मानवीय,सुसंस्कृत…

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समरथ को सब कुछ क्षमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** पाप-पुण्य के व्यूह में,क्यों फँसते हैं आप। बनो सुजन सत् सारथी,बिन परार्थ है पापll जिसको लगता जो भला,उसे समझता पुण्य। आहत लखि निज…

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मैं बेटी हूँ

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** मैं बेटी हूँ,मैं बेटी हूँ, जग में एक अकेली हूँ दुनिया बहुत निराली है, यहाँ रहना बदहाली है। ना रिश्ता है न नाता है, लूट बलात्कार…

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तुम ही मेरे लक्ष्य हो…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* तुम्ही मेरी मंजिल,तुम्हीं मेरे लक्ष्य हो, सभी कहते मुझसे तुम तो अलभ्य हो। मन ना ही समझे ना ही जग में उलझे, उर में बसाया…

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