जीवन-मृत्यु

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- जीवन-मृत्यु खेल निराला विधि का सारा देखा भाला, राज मृत्यु का जाना किसने ! मनुज हो रहा है मतवाला। विधना जो जीवन देता है अच्छे कर्मों से मिलता है, मृत्यु सत्य है जीवन मिथ्या ये सबसे पहले लिखता है। तन है इक माटी का ढेला दो दिन आया दो … Read more

अमृत से भी मीठी बोली

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. मुझे नहीं है सभी विश्व की भाषाओं का ग्यान, मैं करता हूँ अपनी हिंदी भाषा पर अभिमान। हिन्दी वेदों की वाणी है हिन्दी भारत की पहचान, भारत का जन-जन करता है हिन्दी का सम्मान। भारत भाल का मुकुट है ये हिन्दी ही मातृ समान, उर्दू,इंग्लिश … Read more

मिट्टी जिसने,सींच-सींच कर..

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** मिट्टी जिसने,सींच-सींच कर, हरियाली फैलायी। अरे! आज क्यों सुबह उसी ने, सूखी रोटी खायी ? ठंडी कारों में चलते, सब लेते हैं अंगड़ाई। इनको न मिल पाती देखो, टूटी-सी चारपाई! गिरगिट जैसे रंग बदलकर, नेता चलते भाई। कहने को सब सस्ता लेकिन, बढ़ी खूब मंहगाई। अब जमीन पर सोई … Read more

रक्षाबंधन

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- स्नेह भरा आँखों में मन में चली प्यार की आँधी, हर्षित मन से बहना ने भाई को राखी बांधीl माथे पर कुंकुम का टीका राखी भरी कलाई, बहना दे आशीष और ये वचन दे रहा भाईl बहना तेरी राखी का मैं मोल चुका ना पाऊँगा, पर तेरी रक्षा करने … Read more

अपने सर पे हम बाँध कर कफन चले

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- हम हैं ऐसे नौजवान कट ही जाए सर भले, आज अपने सर पे हम बाँध कर कफन चले। हम वतन की आबरू मिटने नहीं देंगे कभी, उठी गलत नजर तो आँख फोड़ देंगे हम अभी। जो गला विद्रोह की आवाज गर उठायेगा, बोलने से पहले ही हम काट देंगें … Read more

बारिशों का मौसम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- रिम-झिम बरसो कारे बदरा तन-मन झुलसा जाए, तुम बिन कौन यहाँ मेरा जो आकर प्यास बुझाए। इक तो ये बारिश का मौसम,पास पिया ना मेरे, ये बारिश की बूँदें भी तन मन को आ कर घेरे। बागों में फिर झूले डल गए सखियाँ झूले सारी, एक अकेली बैठी ताकूँ,मैं … Read more

श्रद्धा होनी चाहिए

जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* श्रद्धा होनी चाहिए, ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए। कभी-कभी जब हम अंदर से टूट जाते हैं, तब अंतर्मन को शक्ति दे दे… ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए। ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥ भगवान जहाँ भी है,वो हमें देख रहे होंगे, किसका,कब और कैसे पेट भरना,वो सब अपनी डायरी … Read more

पाकी का सीना फाड़ दिया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. भारत के वीर जवानों ने पर्वत पर झंडा गाड़ दिया, विजय कारगिल पर करके पाकी का सीना फाड़ दियाl बर्फीली चोटी पर रहकर देश की रक्षा करते थे, बदन भले सड़ जाये,पर परवाह नहीं वो करते थेl पर लातों का भूत बात से कहाँ … Read more

आँचल का पहला फूल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- माँ का आँचल और आँचल का पहला फूल नारी को सम्पूर्ण नारीत्व का भान कराता है। माँ बनना नारी की सम्पूर्णता है। मातृत्व का आभास ही तन,मन और जीवन में उल्लास की सृष्टि करता है। ये एक ऐसा अहसास है,जिस अहसास को महसूस करने के लिये एक माँ पूरा … Read more

फुहार

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** पुलक उठी है उर मनुहार, मुखर मुग्ध कर रही फुहारl सिहर उठा कोमल अति गात, चंचल मुग्ध बेसुध सखि रातl श्याम देह निखरी अनुपात, भरे मकरंद रस जलजातl रजत श्याम का मृदु श्रृंगार, मुखर मुग्ध कर रही फुहारl मधुर मिलन बढ़ जाता राग, धरा गगन मिल बना … Read more