जीवन-मृत्यु
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान) *********************************************************************************- जीवन-मृत्यु खेल निराला विधि का सारा देखा भाला, राज मृत्यु का जाना किसने ! मनुज हो रहा है मतवाला। विधना जो जीवन देता है अच्छे कर्मों से मिलता है, मृत्यु सत्य है जीवन मिथ्या ये सबसे पहले लिखता है। तन है इक माटी का ढेला दो दिन आया दो … Read more