सर्द हवाएँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* सर्द हवाओं से मत पूछो, बिखेरे क्यों ये रंग हजारl मौसम ये अपने मिजाज, दिखते रंग सर्द में आजl ठंडी हवा झोंकों-सी इक पैगाम दे…

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ये मोहब्बत नहीं…

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** ओल्ड करते थे जिन्हें हम प्यार, वो अब पराए हो गए। मोहब्बत के रिश्ते से, हम बहुत दूर हो गए। कितने स्वार्थी होते हैं वो लोग,…

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कुछ तो बात है उनमें

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** कुछ तो बात है उनमें, तभी लोग उनके हो जाते हैं। अपने-अपने प्यार का इजहार करने, गुलाब का फूल लेकर बार-बार सामने जाते हैं। भले ही…

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उम्र के पड़ाव को समझें

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** उम्र ने हमें बता दिया कि, अब शालीनता से जीयो। भले ही तुम अपने को, जवान समझते हो। अंदर से आया है जो पैगाम,  वही जीवन…

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तेरे हवाले है जिंदगी

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** प्यार को प्यार से जानें तो, कोई बात होती है। दिल को दिल से जानो तो, कोई बात होती है। मैं कैसे समझूँ कि तू, मुझको…

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मंज़र पर्दे की ओट का

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** यूँ होता,यूँ ना होता,सोच-सोच कर क्या फायदा राज़ जब यह मुहब्बत में,दिल की चोट का है, मेरा दिल तो मुस्कराया है,सदा बच्चे की मानिंद कसूर…

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प्रकृति की देन

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** नदिया न पिये, कभी अपना जल। वृक्ष न खाए, कभी अपना फल। सभी को देते रहते, सदा ही वो फल और जल। नदिया न पिये कभी...॥…

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गुफ्तगू करना दिल से

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** ये दिल कहे यारी में,ऐसा भी कुछ हो जाये मौत भी यारों को,जुदा करने में शरमाये, देख मेरे चेहरे पर,ये सुकून,सेहत,मस्ती- खुदा भी कह दे-तुझे…

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मुलाकात

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** तुझसे मुलाकात तो एक बहाना है, फूलों को मौसम की रंगत दिखाना है बात लब पर आने को मचलती है, बहारें मौसम पर आने को…

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बचपन क्या था

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** याद आ रहे हैं हमें, वो बचपन के दिन। जिसमें न कोई चिंता, और न ही कोई गम। जब जैसा जहां मिला, खा-पी हो गए मस्त।…

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