आधी मजदूरी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* सुबह-सुबह मालिक आया और कारखाने में अपने निजी नौकर के साथ घूम-घूमकर कह गया,-“आज दिन तुम्हारा है,समय से स्नान कर लो,कपड़े भी ठीक-ठाक पहन लो।” सारे मजदूर खुश थे। कार्यालय के सामने साफ-सफाई व सजावट बिखेर दी गयी। मजदूरों में बातें चल रही थी,आज बिना काम किए पूरी मजदूरी मिलेगी। … Read more

एक पत्र आने वाली पीढ़ी के नाम

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्यारे बच्चों, चिरंजीवी हो। बच्चों कितने वर्षों बाद जब तुम मुझे पढ़ रहे होगे तो वह समय कैसा होगा ? तुम्हारा रहन-सहन कैसा है ?,यह तो मैं नहीं जानती पर इतना जरूर महसूस कर सकती हूँ कि काफी हद तक मशीनी भावनाशून्य तकनीक को भगवान मानने वाला और मौज शौक … Read more

गुरुनानक देव:विश्व दृष्टि और लोक व्याप्ति

प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन (मध्यप्रदेश) **************************************************************** भारतीय सन्त परम्परा में गुरुनानक देव जी (१५ अप्रैल १४५९-२२ सितम्बर १५३९) का स्थान अप्रतिम है। उनका प्रकाश पर्व कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है,यद्यपि उनका जन्म १५ अप्रैल को हुआ था। अनेक सदियों से सांस्कृतिक,सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में व्याप्त तमस को निस्तेज कर उन्होंने उजाला फैलाया … Read more

रिश्ते नहीं जमीनी

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************* सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. एक कमरे में रहते हैं व्यक्ति चार, चारों अलग फोन पर बतियाते हैं। एक-दूजे से बात नहीं हो पाती उनकी, अपनी दुनिया में व्यस्त वो हो जाते हैं। फिर धीरे से उठ कर ‘गुड नाइट’ कहते हैं, ‘सुबह मिलेंगे’ कहकर हाथ हिला जाते हैं। मैं … Read more

रोशन किरदार

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. मैं,आज,पुरानी तस्वीरें जब देख रहा हूँ, तेरा रोशन क़िरदार,मैं,इनमें देख रहा हूँ। दीदार हुआ जब,भूल गये लब,जो था कहना, नज़रों ने की जो बातें,सारी याद मुझे है लरज़ते हाथों से गुल मेरा,नज़र वो करना, इक़रार,झुकी पलकों का तेरी,याद मुझे है। मुलाक़ात पहली,वो,फिर से देख … Read more

वो नाचती थी ?

प्रीति शर्मा `असीम` नालागढ़(हिमाचल प्रदेश) ****************************************************************** `विश्व नृत्य दिवस` २९ अप्रैल विशेष…. जीवन की, हकीकत से अनजान। अपनी लय में, अपनी ताल में हर बात से अनजान। वो…नाचती थी ? सोचती…थी ? नाचना ही…जिंदगी है, गीत-लय-ताल ही बंदगी है। नाचना…ही जिंदगी है, नहीं….शायद नाचना ही….जिंदगी नहीं है। इंसान हालात से नाच सकता है, मजबूरियों की … Read more

पृथ्वी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* मैं देखता हूँ जहाँ तक दिखायी देती है मुझे पृथ्वी, शांत बिल्कुल शांत, चपटी कहीं-कहीं थोड़ी उँची और गहरी। कोई मुझसे कह रहा था पृथ्वी गोल है, और घूमती है जिसे देखने के लिए मैं घर से निकल आता हूँ, वीरान खेतों में मगर,मुझे पृथ्वी वैसी ही दिखायी देती है, … Read more

प्यासा पंछी,उड़ता मन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* यह,मन प्यासा,पंछी मेरा, नील गगन उड़ करे बसेरा। पल में देश विदेशों विचरण, कभी रुष्ट,पल में अभिनंदन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में अवध,परिक्रम करता, सरयू जल अंजुलि में भरता। पल में चित्रकूट जा पहुँचे, अनुसुइया के आश्रम पावन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में शबरी आश्रम जाए, बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए। किष्किन्धा … Read more

प्रकृति का न्याय

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** बही सलिल शुद्ध,चली पवन शुद्ध, ये गगन भी,अब,मुस्काया है हो वात आवरण स्वस्थ,स्वयम् प्रकृति ने कदम उठाया है। प्रकृति सदा ही रही मित्र, मानव की,मानव समझा ना मद अहंकार की पी-पी कर, वह स्वयम् नियंता बन बैठा करने को उसकी मति शुद्ध, पुनि अपना रूप दिखाया है। हो वात … Read more

हारा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हारा- हारा जो हिम्मत नहीं,जीता उसने युद्ध। त्याग तपस्या साथ ही,बने धैर्य से बुद्ध। बने धैर्य से बुद्ध,तथागत जन दुखहारी। किया प्राप्त बुद्धत्व,जीत कर भाव विकारी। शर्मा बाबू लाल,हार मत,मिले किनारा। पढ़ो विगत संघर्ष,धीर जन कभी न हारा। नारी- नारी है सबला सदा,मानो सत्य सुजान। जीवन दाता सृष्टि में,नारी अरु भगवान। … Read more