फीका-फीका फाग

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ बदले-बदले रंग है,फीका-फीका फाग।ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग॥ फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल।उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल॥ बढ़ती जाए कालिमा,मन-मन में हर साल।रंगों से कैसे मलें,इक दूजे के गाल॥ सूनी-सूनी होलिका,फीका-फीका फाग।रहा मनों में हैं नहीं, इक दूजे से राग॥ स्वार्थ रंगी जब भावना,रही मनों को चीर।बोलो ‘सौरभ’ फाग में,कैसे … Read more

देवभूमि को सुरक्षित रखना जरूरत

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************ उत्तराखंड हिमालय देवभूमि के रूप में उभरा है और हिंदू तीर्थयात्रा के केन्द्र के रुप में विकसित हुआ है,मगर प्राकृतिक आपदाएं इसको विनाशक बना रही है। पिछले एक दशक में हाल की पारिस्थितिक नाजुकताओं को देखते हुए लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ धरोहर स्थलों को सुरक्षित रखने के लिए दीर्घकालिक संकट प्रतिक्रिया … Read more

जीती बेटियाँ,जाने कितने रूप

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************ कभी बने है छाँव तो,कभी बने हैं धूप।सौरभ जीती बेटियाँ,जाने कितने रूप॥ जीती है सब बेटियाँ,कुछ ऐसे अनुबंध।दर्दों में निभते जहां,प्यार भरे संबंध॥ रही बढ़ाती मायके,बाबुल का सम्मान।रखती हरदम बेटियाँ,लाज शर्म का ध्यान॥ दुनिया सारी छोड़कर,दे साजन का साथ।बनती दुल्हन बेटियाँ,पहने कंगन हाथ॥ छोड़े बच्चों के लिए,अपने सब किरदार।माँ बनती है बेटियाँ,देती … Read more

दादी का संदूक!

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ स्याही-कलम-दवात से,सजने थे जो हाथ।कूड़ा-करकट बीनते,नाप रहें फुटपाथ॥ बैठे-बैठे जब कभी,आता बचपन याद।मन चंचल करने लगे,परियों से संवाद॥ मुझको भाते आज भी,बचपन के वो गीत।लोरी गाती मात की,अजब-निराली प्रीत॥ मूक हुई किलकारियां,चुप बच्चों की रेल।गूगल में अब खो गए,बचपन के सब खेल॥ छीन लिए हैं फ़ोन ने,बचपन के सब चाव।दादी बैठी देखती,पीढ़ी … Read more

बुजुर्ग हमारे वजूद,बोझ नहीं

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ हमारे देश में बुजुर्ग तेजी से बढ़ते जा रहे हैं,लेकिन उनके लिए उपलब्ध संसाधन कम होते जा रहे हैं। ऐसे में हम सबकी जिम्मेवारी बनती है कि उन्हें एक तरफ रखने के बजाय उनकी शारीरिक और मानसिक देखभाल करने के लिए समुदायों के जीवन में एकीकृत किया जाना चाहिए,जहां वे सामाजिक परिस्थितियों … Read more

नए साल के पँख

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** बीत गया ये साल तो,देकर सुख-दुःख मीत,क्या पता ? क्या है बुना ? नई भोर ने गीतl माफ़ करे सब गलतियां,होकर मन के मीत,मिटे सभी की वेदना,जुड़े प्यार की रीत। जो खोया वो सोचकर,होना नहीं उदास,जब तक साँसें हैं मिली,रख खुशियों की आस। खिली-खिली हो जिंदगी,महक उठे अरमान,आशा है नव साल की,सुखद … Read more

केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन बुद्धिमानी नहीं

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** उत्तर प्रदेश सरकार ने लव जिहाद को रोकने के लिए एक अध्यादेश से गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण’ के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव दिया है। सदियों से भारत में जातिवाद और धर्मवाद का प्रचलन रहा है। कई कानूनों के बावजूद अंतरजातिय विवाह के लिए सामाजिक कलंक अभी भी भारतीय समाज में मौजूद है। … Read more

तुम बेकार

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** वक्त पड़े तो फूल हम,दिखते समझदार,कह दी सच्ची बात तो,सौरभ तुम बेकारl बस अपनी ही हांकता,करता लम्बी बात,सौरभ ऐसा आदमी,देता सबको घातl जिसने सच को त्यागकर,पाला झूठ हराम,वो रिश्तों की फसल को,कर बैठा नीलाम। दुश्मन की चालें चले,रहकर तेरे साथ,सौरभ तेरी हार में,होता उनका हाथ। मन में कांटे है भरे,होंठों पर मुस्कान,दोहरे … Read more

बैठक है वीरान!

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ चूस रहे मजलूम को,मिलकर पुलिस-वकील,हाकिम भी सुनते नहीं,सच की सही अपील। जर्जर कश्ती हो गई,अंधे खेवनहार,खतरे में ‘सौरभ’ दिखे,जाना सागर पार। थोड़ा-सा जो कद बढ़ा,भूल गए वो जात,झुग्गी कहती महल से,तेरी क्या औकात। बूढ़े घर में कैद हैं,पूछ रहे न हाल,बचा-खुचा खाना मिले,जीवन है बेहाल। हत्या-चोरी लूट से,कांपे रोज समाज,रक्त रंगे अखबार … Read more

बीती अपने-आप पर

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** बैठ न सौरभ हार के,रखना इतना ध्यान,चलने से राहें खुले,हो मंजिल का भानl सुख में क्या है ढूंढ़ता,तू अपनी पहचान,संघर्षों में जो पले,बनते वही महानl संबंध स्वार्थ से जुड़े,कब देते बलिदान,वक्त पड़े पर टूटते,शोक न कर नादानl आंधी या बरसात हो,सहते एक समान,जीवन पथ पर वो सदा,रचते नए विधानl भूल गए हम … Read more