फीका-फीका फाग
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ बदले-बदले रंग है,फीका-फीका फाग।ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग॥ फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल।उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल॥ बढ़ती जाए कालिमा,मन-मन में हर साल।रंगों से कैसे मलें,इक दूजे के गाल॥ सूनी-सूनी होलिका,फीका-फीका फाग।रहा मनों में हैं नहीं, इक दूजे से राग॥ स्वार्थ रंगी जब भावना,रही मनों को चीर।बोलो ‘सौरभ’ फाग में,कैसे … Read more