निकले थोथे यार!
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ जब दौलत की लालसा,बांटे मन के खेत,ठूँठा-ठूँठा जग लगे,जीवन बंजर रेतl दो पैसे क्या शहर से,लाया अपने गाँव,धरती पर टिकते नहीं,अब सौरभ के पाँवl तुझमें मेरी साँस…
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ जब दौलत की लालसा,बांटे मन के खेत,ठूँठा-ठूँठा जग लगे,जीवन बंजर रेतl दो पैसे क्या शहर से,लाया अपने गाँव,धरती पर टिकते नहीं,अब सौरभ के पाँवl तुझमें मेरी साँस…
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** लैंगिक असमानता हमारे समाज में एक दीर्घकालिक समस्या है। आज भी महिलाओं के साथ कई तरह से भेदभाव किया जाता है। भारत के सामाजिक संदर्भ में कानूनी…
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ दुनिया मतलब की हुई,रहा नहीं संकोच,हो कैसे बस फायदा-यही लगी है सोच। मतलब हो तो प्यार से,पूछ रहे वो हाल,लेकिन बातें काम की-झट से जाते टाल। रिश्तों…
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ बदल रहे हर रोज ही,हैं मौसम के रूप,ठेठ सर्द में हो रही, गर्मी जैसी धूप। सूनी बगिया देखकर,तितली है खामोश,जुगनूं की बारात से,गायब है अब जोश। दें…
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** हाथ मिलाते गैर से,अपनों से बेजार,सौरभ रिश्ते हो गए,गिरगिट से मक्कारl अपनों से जिनकी नहीं,बनती सौरभ बात,ढूंढ रहे वो आजकल,गैरों में औकात। उनका क्या विश्वास अब,उनसे क्या…
सिवानी मंडी(हरियाणा)। बच्चा सबसे पहले माँ से लोरी सुनता है और फिर दादी-नानी से कहानी। इसलिए कविता के बाद कहानी हर युग में सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यिक विधा रही है। लघुकथा…
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ आज का बॉलीवुड वैसे भी देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों को छोड़कर पूरी तरह नंगा हो चुका है। कुछ फिल्मों को छोड़कर बाकी हम परिवार के साथ नहीं…
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ दुःशासन खड़े चीरहरण को देख कर,दरबारी सब मौन!प्रश्न करे अँधराज पर,विदुर बने वो कौन। राम राज के नाम पर,कैसे हुए सुधार।घर-घर दुःशासन खड़े,रावण है हर द्वार॥ कदम-कदम…
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ********************************************************** जीवन में आनंद का,बेटी मंतर मूल।इसे गर्भ में मारकर,कर ना देना भूल॥ बेटी कम मत आंकिये,गहरे इसके अर्थ।कहीं लगे बेटी बिना,तुझे सृष्टि व्यर्थ॥ बेटी होती प्रेम की,सागर…
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ********************************************************** तेरे आँचल में छुपा,कैसा ये अहसास,सोता हूँ माँ चैन से,जब होती हो पास। माँ ममता की खान है,धरती पर भगवान,माँ की महिमा मानिए,सबसे श्रेष्ठ-महान। माँ कविता के…