इक निगाह माँगते हैं

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रहें कैसे जिंदा हम सलाह माँगते हैं।मौत से कह दो एक गुनाह माँगते हैं। तेरा झूम के खिल-खिल अदा से हँसना,गुले-गुलशन इक निगाह माँगते हैं। बिखरते मोती रुखसार पे जुल्फों से,आवारा बादल तुमसे पनाह माँगते हैं। पलकों में बेआसरा एक बूंद अब्र की,तुमसे रहने को ख्वाबगाह माँगते हैं। जहाँ के लिए भरे दिल … Read more

इंतजार

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:मात्रा भार सीढ़ी पँक्ति क्रम-२०-१८-१६-१४- १२-१० मिल पत्थर पर बैठी सोच रही हूँजिस पर धुंधला इंतजार लिखाउस घड़ी की राह तकती हूँहो सूनी आँखों में ख्वाबकहीं ना हो फरियादहो जहाँ आबाद। महज सुख रोकने संयम शब्द रहेइंतजार करती मैं उस पल काविपदाएं न हो हौंसला होआँसू खुशियों के छलकेमुस्कराने के बादजड़ में … Read more

जल…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… विकल-विकल जल बिना मानव,जल छुप जाए रसातल-तल। जल-जल वरदान है हमको,प्रकृति अनमोल देन पल-पल। तरल-तरल हो रूप बदलती,पानी की कहानी है छल-छल। उछल-उछल जब नदियां चले,मुग्ध होते मन मचल-मचल। रिमझिम-रिमझिम मेह बरसे,कभी आ धमके धमक-धमक। लहर-लहर सिंधु लहराये,सरोवर मनहर ठहर-ठहर। रुनक-झुनक उतरे निर्झनी,पर्वत शिखर हो झनक-झनक। गहर-गहर … Read more

भरोसे का सहारा रख दो

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ओ! रहनुमाओं,सुनो! इधर आओतुम बैठे रहो चाँद पर,इधर टूटा तारा ही रख दो। प्रेम भाईचारा हो,अमन की धारा होफैली हथेलियां इन पर,भरोसे का सहारा रख दो। कोई भूखा न रहे,कोई रोता न मिलेजहाँ एक खूबसूरत,ऐसा ही नजारा रख दो। कोई द्वेष में न जले,मुफलिसी में न पलेकोई लाचारी न हो,सुनो,हक हमारा रख दो। … Read more

कवियों के कवि जनकवि ‘नागार्जुन’

डॉ. दयानंद तिवारीमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ जनकवि नागार्जुन का असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था,परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने ‘नागार्जुन’ तथा मैथिली में ‘यात्री’ उपनाम से रचनाएँ कीं। काशी में रहते हुए उन्होंने ‘वैदेह’ उपनाम से भी कुछ कविता लिखी थीं। सन् १९३६ में सिंहल में ‘विद्यालंकार परिवेण’ में उन्होंने ‘नागार्जुन’ नाम ग्रहण किया। आरंभ में उनकी हिन्दी … Read more

जाना-पहचाना अनजाना घर

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** जानना-पहचानना,दोनों में कितना फर्क है। मुझे तब तक नहीं पता था,जब तक तुमने बरतन,स्विच बोर्डलेपटॉप,डेस्कटॉप,मोबाइल,और घरेलू मशीनों को नहीं तोड़ा। घर के सामान के साथ,कभी मेरा हाथ टूटातो कभी बच्चों का सर,हर बार कुछ टूटने के साथमेरे भीतर भी कुछ ना कुछ टूट जाता। दरकते रिश्तों के साथ,कब बच्चों ने भी सब … Read more

शुभ्रा वर दे

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** माँ हँसा रूढा,वेद वीणा कर मेंशुभ्रा वर दे। नवल स्फूर्ति,दिव्य रश्मि झरतीदिशा दिगन्त। मृदु मृदुला,साख में स्वरा स्यामाराग पंचम। वर्णनातीत,लक्ष्य दुर्गम पथठौर पुष्पित। तनी प्रत्यंचा,नभ चाँद छुपताशौर्य अदम्य। किसे सब्र है,भू विहीन चक्र हैधरा वक्र है। अरण्य बीच,भटकता पथिकपथ सुगम है। झील का दर्पण,विकल युग्म छाँवचाँद का नाव। कटी बेड़ियाँ,पलकों की सीढ़ियांहृदय द्वार। … Read more

नई तरह की होलियाँ…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… रचना शिल्प:मात्रा भार क्रमश पँक्ति- २२-२०-१८-१६-१४-१२-१०…. जीन्स जेब में ठूंस-ठूस गुलाल रखी,रंग रंगने छू कर छकाती ज्यादाठुमके नहीं,वो ठसके दिखाती,भीगती कम भगाती ज्यादागुजरिया है ना गोरियाँ,मोहल्ले की छोरियाँगुड़ भरी बोरियाँ। भंगिया घुटे छने बिना ही भगदड़ है,मस्तियायी होलियारी हुल्लड़ हैढोल नगाड़े बजे न हड़बड़ है,डीजे की धम-धम … Read more

होली के बहाने

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… कभी तुम्हें जानना नहीं चाहा,पहचानते हुए भी पास आना नहीं चाहातुम्हारे लिए कुछ फूल चुने थे मैंने,सूख गए पर देना नहीं चाहा। एक दिन तुम खुद ही आए,एक प्याला चाय औरमतलब की बातें की,तुमने मुझे देखा,थोड़ा जाना-थोड़ा पहचाना। कभी दो घड़ी यूँ ही सी बातें हुई,कभी … Read more

राधा आओ

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प: मात्रा भार १४ ओ! राधा आओ प्यारी,निकसो तो महल दुआरी!ले अबीर कान्हा खड़े हैं-सँग में है सखियां सारी!! धूम मची बरसाने में,वेणु बुलाये गाने में!श्याम रंग रंगी राधा-रंग बचती बहाने में!! हरे लाल गुलाल पीली,कोई ले कर रंग नीली!कान्हा की पिचकारी से,भीग गयी श्याम छबीली!! परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ … Read more