तो बेजान होता संसार

वर्षा तिवारीमुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************** रोशनी अगर न होती तो,सारे जग में छा जाता घोर अंधकाररोशनी अगर न होती तो,कैसे पाते हम सूरज का प्यार ?न टिमटिमाते तारे,नीले नभ में सारेन पहुँचाता खुशियाँ,बच्चों…

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इश्क़ और हकीकत

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** किसी दरख़्त पर,अब न कोई नाम मिलेगा,खामोश आशिकी का न कहीं पैग़ाम मिलेगा। न कोई आरजू न ख़्वाहिश न सलाम मिलेगा,पूछना महकती खुशबू से,वही पयाम मिलेगा। ढूँढने चले…

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‘मुक्तिबोध’ का काव्य संसार और आलोचना के मापदण्ड

डॉ. दयानंद तिवारीमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ कार्लमार्क्स की साम्यवादी विचारधारा ही मार्क्सवादी विचारधारा कहलाई। वे एक वैज्ञानिक समाजवादी विचारक थे। वे यथार्थ पर आधारित समाजवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं।…

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काश! लहर ही होती…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** डूबती,उतरती विशाल सागर की तरंग में,झूमती,बावली बन चूमती आसमां कभीबिखर-बिखर जाती सागर की लहर-लहर में,किनारे की कभी तमन्ना ही ना होती। अठखेलियाँ करती नन्हीं-नन्हीं बूंदों से मिल,नाचती जल…

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जाड़े की भोर

वर्षा तिवारीमुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** वर्षा की बूँदों से अभिषेक हुआ,इंद्रधनुष ने आसमान को छुआपंछियों की चहचहाहट ने किया शोर-एहसास हुआ,आ रही है जाड़े की भोर। बूँदों के बाणों का खत्म हुआ पथ,धरती…

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तारों की नजर से

  ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जाती रजनी तिमिर कालिमा,छा रही छोर भोर लालिमा। है ठहरा हुआ एक तारा,सुदूर नील आसमां हारा। करे धरा अवलोक कर ध्यान,उड़ते पखेरू की ऊँचान। खिलती कैसे कुसुम…

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पुरअसर जिंदगी

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** सितारे भरे हो नजर जिंदगी।जरा गम मिले तो जहर जिंदगी। खुशी में न बहके न गम में जले,समुंदर माफिक लहर जिंदगी। फकीरा बने रूह सूफी रहे,रहो मौज में…

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हिंदी भाषा हीं स्वीकार है

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हिंदी समृद्ध भाषा है,हिंदी उन्नत भाषा है,भाषा के गुण हैहैं सभी,करते क्यों रार है। सभी भाषा है सुंदर,बोली प्रेम समुंदर,सबमें रस मिठास,नहीं तकरार है। संस्कृत की पुत्री हिंदी,सभी…

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प्रेम-पागलपन

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** प्रति व्यक्ति दायरे में बन्ददायरा है वासनाओं का,घिरते अपने ही बुने जाल मेंफंसते-धँसते हुएये तन-मन। वासनाएँ अर्थ काम या मोक्षकभी मान कभी जन गुमान,जीवन जीने की या मृत्यु…

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वन्दे मातरम

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. रहो तिरंगे की छाया में,है नव युग का नव विहान,शुभ पर्व है गणतंत्र हमारा,मंगलमयी गाओ गान। तन भारत है मन भारत है,रग-रग में है…

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